क्या आप जानते हैं, कोयले से कैसे बनाई जाती है बिजली, जो आपके घर को करती है रौशन?

वैसे हम सभी लोगों को सही और सुरक्षित जीवन जीने के लिए बिजली की बहुत आवश्यकता है और इसके बिना हम अपने सुचारू जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकते है।

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वैसे हम सभी लोगों को सही और सुरक्षित जीवन जीने के लिए बिजली की बहुत आवश्यकता है और इसके बिना हम अपने सुचारू जीवन की कल्पना ही नहीं कर सकते है। इसीलिए आज के समय मे  बिजली काफी उपयोगी चीज है और इसका प्रयोग घर रोशन करने से लेकर ट्रेन चलाने तक हर जगह होता है। ऐसे में आपके दिमाग में कई तरह के प्रश्न आ रहे होंगे कि आखिर बिजली बनती कैसे है और इसको बनाने में कितना समय और पैसा  खर्च होता है। तो चलिए आज हम आपके  इन सभी प्रश्नों का उत्तर देने की खोशिश करते है और बताते है कि आखिर बिजली बनती कैसे है।

बिजली को बनाने में ऐसे प्रयोग होता है कोयला

बिजली को बनाने में सबसे ज्यादा प्रयोग कोयले का किया जाता है। कोयले को बिजली के सामान के रूप में तैयार करने के लिए सबसे पहला उसका चूरा बनाया जाता है और  उसे बॉयलर युक्त भट्टी में जलाया जाता है। जो भट्टी की गर्मी के द्वारा बॉयलर के पानी को भाप में बदल देती है। जिसका प्रयोग पवन चक्की चलाने के लिए किया जाता है। यह पवन चक्की जेनेरेटरों को घूमाती है और बिजली पैदा करती है। हालांकि समय के साथ में इस प्रक्रिया की दक्षता में परिवर्तन हुआ है और अब आधारित पवन चक्की में भाप उन्नत करने के लिए कोयला की 65 प्रतिशत भाप आसपास के पर्यावरण में ली जाती है।

ऐसा मिलकर काम करता है कोयला और बिजली

दरअसल पानी भाप के माध्यम से मोटे पाईप से निकल कर पवन चक्की में जाता है और छोटे -मोटे पाईप में घूमते हैं जिनमें पानी बहता रहता है।  जिसके बाद भट्टी में  गर्म होकर भाप बन जाती है और इन पाईप का एक सिरा पवन चक्की से जुड़ा होता है। इन भाप की ऊर्जा से पवन चक्की घूमती है। भाप के वेग से जितनी  जोर से पवन चक्की घूमती है।  उतनी  ही मात्रा में बिजली पैदा होती है। इसलिए इस पवन चक्की पर भाप को बहुत ऊंचे दबाव और ऊंचे तापमान से लाया जाता है। पवन चक्की उस छड़ से जुड़ा है जिस पर तार बंधे हैं। जिसे चुम्बक के बीच में रखा जाता है। इस को जेनेरेटर कहते हैं।

बिजली से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बात

बिजली की काफी मांग के चलते बाद में भारत में हर आदमी सबसे कम बिजली की खपत की जाती है। विश्वभर में बिजली की खपत 2429 यूनिट होती है जबकि भारत में 734 यूनिट है। आजादी के वक्त से ही बिजली की भयंकर कमी लोगों के बीच रही है जबकि इसके उत्पादन में 8 % की दर से तेजी होती रही है। योजना आयोग की माने तो पीक समय में बिजली की कमी 10 % होती है जबकि आमतौर पर 7 फीसदी बिजली की कमी होती है।

कोयले से बिजली बनाने में कितना पैसा लगाता है

कोयले से बिजली बनाने में कितना पैसा लगाता है इस पूरी गणना की कोई सटीक जानकारी नहीं है लेकिन फिर भी कई लाख करोड़ रुपए का लेनदेन होता है। हालांकि अभी भी पूरे दुनिया में करीब सौ करोड़ लोगों की बिजली तक पहुंच नहीं है। इन लोगों को बिजली मुहैया कराने के लिए साल 2030 तक हर साल करीब  325 लाख करोड़ रुपए के निवेश की जरूरत है। यह ऊर्जा के क्षेत्र में वार्षिक निवेश का लगभग दो प्रतिशत है। 

कोयले से बिजली बनाने में कितनी मैन पॉवर लगती है

कोयले से बिजली बनाने में  कितनी मैन पॉवर लगती है। इस पूरी गणना की कोई सटीक जानकारी नहीं है हालांकि बिजली की उत्पादन के आधार पर व्यक्तियों की संख्या का निर्धारण होता है और उन लोगों को एक समय सीमा के भीतर उस काम को पूरा करना होता है।


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