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सुप्रीम कोर्ट फैसला EWS आरक्षण रहेगा बरकरार, उदित राज ने 'सुप्रीम कोर्ट को बताया जातिवादी

चीफ़ जस्टिस यूयू ललित की अगवाई वाली पांच जजों की बेंच ने बहुमत से EWS कोटे के पक्ष में फ़ैसला सुनाते हुआ कहा कि 103वां संविधान संशोधन वैध है.

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By विपिन यादव | खबरें - 07 November 2022

सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच में से तीन जजों ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसके बाद यह आरक्षण जारी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने सोमवार को EWS कोटे के तहत आरक्षण को बरकरार रखा है. इस आदेश के बाद अब आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 फ़ीसदी आरक्षण जारी रहेगा.

EWS आरक्षण पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले सुनाने के बाद कांग्रेस नेता उदित राज भड़क गए हैं. उदित राज ने सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाते हुए गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को जातिवादी बताया है. फैसले आने के बाद उदित राज ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट जातिवादी है, अब भी कोइ शक! EWS की बात आई तो कैसे पल्टी मारी कि 50% की सीमा संवैधानिक बाध्य नहीं है लेकिन जब भी SC/ST/OBC को आरक्षण देने की बात आती थी तो इंदिरा साहनी मामले में लगी 50 % की सीमा की हवाला दिया जाता रहा. 


बता दें सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने सोमवार को EWS कोटे के तहत आरक्षण को बरकरार रखा है. चीफ़ जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने बहुमत से EWS कोटे के पक्ष में फ़ैसला सुनाते हुआ कहा कि 103वां संविधान संशोधन वैध है. इस आदेश के बाद अब आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 10 फ़ीसदी आरक्षण लाभ जारी रहेगा. केंद्र ने 103वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 के माध्यम से दाखिले और सरकारी सेवाओं में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया है.

EWS का बिल कब हुआ था पेश

 केंद्र सरकार ने 8 जनवरी 2019 को लोकभा में आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने को लेकर बिल पेश किया. इस बिल के पक्ष में 323 और विपक्ष में 3 वोट डाले गए.  31 जनवरी 2019 को केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने EWS आरक्षण को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया और 103वें संविधान संशोधन के जरिए अनुच्छेद 15 और 16 में खंड (6) जोड़कर देश भर में आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को नौकरी और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश में 10 प्रति शत रिजर्वेशन देने का ऐलान किया. फरवरी 2020 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 5 छात्रों ने EWS आरक्षण के खिलाफ याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि 10 प्रति शत EWS आरक्षण से एससी, एसटी और ओबीसी को बाहर किया गया, जो संविधान की मूल भावना के खिलाफ है


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