अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए यूपी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. शनिवार को हुई टीम 9 की बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फैसला किया है कि डॉक्टर सरकारी अस्पतालों का प्रशासनिक काम नहीं संभालेंगे, उन्हें सिर्फ दवा का काम देखना होगा. डॉक्टरों को प्रशासनिक और प्रबंधकीय कार्य से मुक्त करने का निर्णय लिया गया है. एमबीए कर चुके युवाओं को इस काम के लिए मौका दिया जाएगा.
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कोरोना महामारी के दौरान पॉजिटिव मरीजों की बहुतायत ने उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है. उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग मरीजों के इलाज में बेबस और विवश नजर आया। कहीं न कहीं अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी भी इस दौरान लोगों के सामने आई. उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों पर प्रशासनिक और प्रबंधन की जिम्मेदारी होने के कारण बड़ी संख्या में डॉक्टर अस्पतालों में भर्ती मरीजों का इलाज नहीं कर पा रहे थे. इन चिकित्सकों को प्रशासनिक व प्रबंधकीय कार्य से मुक्त कर चिकित्सा कार्य में लगाया जाएगा.
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वहीं बैठक में लिया गया निर्णय उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने में मददगार साबित होगा. प्रशासनिक और प्रबंधकीय कर्तव्यों से मुक्त विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या 450 से अधिक मानी जाती है. निदेशालय और अन्य सरकारी विभागों में तैनात इन डॉक्टरों को अब अस्पतालों में मरीजों के इलाज के लिए प्रशासनिक कार्य छोड़ना होगा.
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