किसान बार-बार क्यों कर रहे हैं आंदोलन ? जानिए क्या है डिमांड

एक बार फिर से किसान एक्टिव हो गए हैं और उन्होंने दिल्ली घेराव की तैयारी कर ली है। दरअसल पंजाब हरियाणा के साथ कई राज्यों में किसान दिल्ली आने की तैयारी कर रहे हैं किसानों की तरफ से इसे 'दिल्ली चलो मार्च' का नाम भी दिया गया है।

प्रतीकात्मक तस्वीर
  • 115
  • 0

एक बार फिर से किसान एक्टिव हो गए हैं उन्होंने दिल्ली घेराव की तैयारी कर ली है। दरअसल पंजाब, हरियाणा के साथ कई राज्यों में किसान दिल्ली आने की तैयारी कर रहे हैं। किसानों की तरफ से इसे 'दिल्ली चलो मार्च' का नाम भी दिया गया है, इसके अलावा इसे किसान आंदोलन 2.0 भी कहा जा रहा है। आपको बता दें कि, इस किसान आंदोलन का पैटर्न 2020-2021 में हुए किसान आंदोलन से काफी मिलता-जुलता है।

बॉर्डर पर धरना देंगे किसान

मिली जानकारी के अनुसार, इस बार भी किसान अपने ट्रैक्टर में राशन लेकर आने वाले हैं। यानी कि देखा जाए तो पिछली बार की तरह ही इस बार भी किसानों का प्लान लंबे समय तक दिल्ली में अलग-अलग बॉर्डर पर धरना देने का है। हालांकि, इस बार कुछ अलग देखने को मिलेगा क्योंकि इस आंदोलन में पिछली बार की तरह किसान संगठनों का समर्थन प्राप्त नहीं हुआ है। इस आंदोलन की बात करें तो यह संयुक्त किसान मोर्चे के बैनर पर नहीं हो रहा है बल्कि अलग-अलग किस संगठन मिलकर इसे आयोजित कर रहे हैं। यह तो हम सभी जानते हैं की किसानों की मांगों को लेकर सरकार के साथ कई बैठकें भी हो चुकी हैं, लेकिन फाइनल डिसीजन नहीं आ रहा है। तो चलिए जानते हैं आखिर किन मामलों को लेकर किसान संगठन बार-बार आंदोलन कर रहा है।

किसानों की है यह मांगे

  • किसानों की सबसे खास मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानून बनाना है।
  • किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग भी कर रहे हैं।
  • आंदोलन में शामिल किसान कृषि ऋण माफ करने की मांग भी कर रहे हैं।
  • किसान लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं।
  • भारत को डब्ल्यूटीओ से बाहर निकाला जाए।
  • कृषि वस्तुओं, दूध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए।
  • किसानों और 58 साल से अधिक आयु के कृषि मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू करके 10 हजार रुपए प्रति माह पेंशन दी जाए।
  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सुधार के लिए सरकार की ओर से स्वयं बीमा प्रीमियम का भुगतान करना, सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाना और नुकसान का आकलन करते समय खेत को एक इकाई के रूप में मानकर नुकसान का आकलन करना।
  • भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को उसी तरीके से लागू किया जाना चाहिए और भूमि अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को दिए गए निर्देशों को रद्द किया जाना चाहिए।
  • कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाए।


कहां-कहां होगी किसानों की मुस्तैदी

किसानों को दिल्ली में आने से रोकने के लिए हरियाणा और पंजाब से लगने वाले सिंधु बॉर्डर पर कटीले तार लगा दिए गए हैं, इसके अलावा सड़कों पर सीमेंट के बैरिकेड भी लगाए गए है। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में टिकरी और सिंधु बॉर्डर पर भी दिल्ली पुलिस की खास तैयारी है ताकि किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोका जा सके। वहीं गाजीपुर बॉर्डर की बात करें तो यहां पर पुलिस की गाड़ियां और बैरिकेड खड़े किए गए हैं। सीसीटीवी और लाउडस्पीकर भी लगाया जा रहा है इतना ही नहीं पुलिस प्रशासन को यह भी डर है कि कहीं पश्चिम उत्तर प्रदेश के दूसरे संगठन भी इसमें शामिल न हो जाएं। अगर ऐसा हो गया तो यह संभव है की दिल्ली मेरठ राजमार्ग भी बाधित हो सकता है।

RELATED ARTICLE

LEAVE A REPLY

POST COMMENT