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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर सोनिया गांधी की टिप्पणी के बाद राजनीतिक विवाद उत्पन्न हो गया है, और बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू हो गया है। दरअसल, कांग्रेस की प्रमुख नेता सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति मुर्मू को "बेचारी, गरीब और थकी हुई" कहकर एक बयान दिया था। इसके बाद राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के भाषण को "बोरिंग" भी बताया था। इस टिप्पणी के बाद बीजेपी ने सोनिया गांधी पर राष्ट्रपति का अपमान करने का आरोप लगाया है और कांग्रेस के इस बयान को देश की बेटी का अपमान भी करार दिया है। वहीं, कांग्रेस ने पलटवार करते हुए बीजेपी को दलित और आदिवासी विरोधी बताया।
राष्ट्रपति का अपमान और सजा सोनिया गांधी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को "बेचारी, गरीब और थकी हुई" कहने के बाद बीजेपी ने इसे राष्ट्रपति का अपमान मानते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा। इस पर कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ जवाबी हमला किया और उन्हें दलित और आदिवासी विरोधी बताया।
हालांकि, क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा देश भी है, जहां राष्ट्रपति का अपमान करने पर कोई सजा नहीं मिलती?
राष्ट्रपति का अपमान करने पर कोई सजा नहीं दुनिया के ज्यादातर देशों में राष्ट्रपति और संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों का अपमान करने पर सजा का प्रावधान होता है। लेकिन एक देश ऐसा भी है, जहां राष्ट्रपति का अपमान करने पर कोई सजा नहीं मिलती। वह देश है फ्रांस।
फ्रांस में 2013 में एक मामले की सुनवाई के बाद यह निर्णय लिया गया कि राष्ट्रपति के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने पर कोई कानूनी सजा नहीं होगी। दरअसल, फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी को लेकर एक व्यक्ति ने "गेट लॉस्ट" टिप्पणी की थी। शुरू में कोर्ट ने उस व्यक्ति को सजा दी थी, लेकिन बाद में यूरोपीय मानवाधिकार अदालत ने यह फैसला दिया कि यह टिप्पणी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं है और उस व्यक्ति पर सजा देना "अनुचित" था।
भारत में राष्ट्रपति का अपमान भारत में अगर कोई व्यक्ति राष्ट्रपति या अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्ति का अपमान करता है या उनके खिलाफ अपशब्द कहता है, तो उसके खिलाफ राजद्रोह की धाराओं के तहत कार्रवाई हो सकती है। भारतीय संविधान के तहत, किसी भी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ अपशब्द कहना, सरकार विरोधी गतिविधियों में शामिल होना या राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करना अपराध माना जाता है।
इसलिए, भारत में राष्ट्रपति का अपमान करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है, जबकि फ्रांस में ऐसा कोई कानून नहीं है जो राष्ट्रपति के खिलाफ टिप्पणी करने पर सजा दे।
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