Story Content
कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादित टिप्पणी मामले में मंत्री विजय शाह की माफी सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई, गिरफ्तारी से मिली अंतरिम राहत
मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री विजय शाह को उस समय बड़ा झटका लगा जब सुप्रीम कोर्ट ने उनके द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई विवादित टिप्पणी के लिए मांगी गई माफी को सिरे से खारिज कर दिया। हालांकि, अदालत ने उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम राहत प्रदान करते हुए जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है।
सोमवार, 19 मई 2025 को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। विजय शाह ने 14 मई को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा एफआईआर दर्ज करने के दिए गए आदेश को चुनौती दी थी। इससे पहले 16 मई को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अनुपस्थिति में कार्यवाहक सीजेआई भूषण रामकृष्ण गवई ने एफआईआर पर रोक लगाने से इनकार करते हुए 19 मई की सुनवाई की तारीख निर्धारित की थी।
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ जिसमें न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. के. सिंह शामिल थे, ने पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए सुनवाई की। सुनवाई के दौरान, मध्य प्रदेश पुलिस की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि इंदौर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है और मामले की जांच प्रारंभ हो चुकी है। साथ ही, तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया जा रहा है जो इस मामले की निष्पक्ष जांच करेगी।
कोर्ट ने SIT को लेकर दिए सख्त निर्देश
पीठ ने स्पष्ट निर्देश दिए कि SIT की अगुवाई एक आईजी रैंक के अधिकारी करेंगे और इस टीम में एक महिला अधिकारी की भी अनिवार्य रूप से नियुक्ति की जाएगी। साथ ही अदालत ने कहा कि SIT में शामिल तीनों अधिकारी डायरेक्ट रिक्रूटेड IPS होंगे, और वे मूलतः मध्य प्रदेश के बाहर के होंगे, ताकि जांच पर किसी भी प्रकार की पक्षपात या राजनीतिक प्रभाव की आशंका न रहे।
सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी को आदेश दिया कि 21 मई, सुबह 10 बजे तक SIT का गठन कर लिया जाए और जांच की पहली स्टेटस रिपोर्ट 28 मई तक अदालत के समक्ष प्रस्तुत की जाए।
माफी नहीं, जिम्मेदारी की दरकार: सुप्रीम कोर्ट
मंत्री विजय शाह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने पेश होकर कहा, “मेरे मुवक्किल ने अपने बयान के लिए दिल से क्षमा मांगी है।” लेकिन अदालत ने इस ‘माफ़ी’ को गंभीरता से नहीं लिया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा,
“आपकी माफ़ी कहाँ है? लोग अक्सर कानूनी बचाव के लिए घड़ियाली आँसू बहाते हैं। हमें दिखावटी माफ़ी नहीं चाहिए। मंत्री का आचरण आदर्श होना चाहिए। आपको पद की गरिमा और अपने कर्तव्यों का ध्यान रखना चाहिए था। हम सेना का बहुत सम्मान करते हैं और यह टिप्पणी बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।”
जब अधिवक्ता ने बार-बार माफ़ी का ज़िक्र किया, तो अदालत ने कहा, “फिर आप बाहर जाकर कहेंगे कि कोर्ट के कहने पर माफ़ी मांगी।”
गिरफ्तारी से राहत, पर कानूनी प्रक्रिया से भाग नहीं सकते
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह को तत्काल गिरफ्तारी से राहत देते हुए कहा कि वे जांच में पूरी तरह सहयोग करें। अदालत ने स्पष्ट किया कि यह राहत केवल इस शर्त पर दी जा रही है कि जांच निष्पक्ष और समयबद्ध हो।
यह मामला केवल एक मंत्री के बयान तक सीमित नहीं, बल्कि यह उस सोच का भी प्रतीक है जिसमें संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों से संयम, गरिमा और राष्ट्रीय संस्थाओं के प्रति सम्मान की अपेक्षा की जाती है। अब देखना होगा कि SIT की जांच से क्या निष्कर्ष निकलता है और विजय शाह को कानूनी प्रक्रिया में क्या आगे का सामना करना पड़ता है।
Comments
Add a Comment:
No comments available.