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हॉकी के जादूगर क्यों कहे जाते हैं मेजर ध्यानचंद, जानिए जिंदगी से जुड़ी अनोखी बातें

हॉकी के प्रति लोगों को जागरूक करने वाले पूर्व खिलाड़ी और जादूगर के नाम से मशूहर मेजर ध्यानचंद का आज 114वां जन्मदिन हैं। इसके अलावा काफी लंबे समय से मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग उठती रही है। तो चलिए जन्मदिन के खास मौके पर उनसे जुड़ी कुछ कहानियो

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By Govind | खेल - 29 August 2020

हॉकी के प्रति लोगों को जागरूक करने वाले पूर्व खिलाड़ी और जादूगर के नाम से मशूहर मेजर ध्यानचंद का आज 114वां जन्मदिन हैं। उनका  जन्म 29 अगस्त 1905 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। उनके जन्मदिन के अवसर पर देशभर में राष्ट्रीय खेल दिवस का आयोजन किया जाता है । जिसमे हर साल खेल में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न के अलावा अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी सम्मानित किया जाता है।  इसके अलावा काफी लंबे समय से मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने की  मांग उठती रही है। लेकिन उन्हें भारत रत्न देने के प्रति सभी  सरकारों ने अभी तक अपनी बेरुखी दिखाई हैं। तो चलिए जन्मदिन के खास मौके पर उनसे जुड़ी कुछ कहानियों के बारे में आपको बताते हैं।

क्या आप जानते हैं?

हॉकी के जादूगर क्यों कहे जाते हैं मेजर ध्यानचंद?

- मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 में उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था

- ध्यानचंद के पिता का नाम समेश्वर सिंह और माता का नाम श्रद्धा सिंह था

- ध्यानचंद के पिता ब्रिटिश इंडियन आर्मी में एक सूबेदार के पद पर कार्यरत थे

- मेजर ध्यानचंद ने छठवीं के बाद अपनी पढाई छोड़ दी, क्योंकि पिता का होता रहता था तबादला

- ध्यानचंद को शुरूआत में हॉकी खेलना पसंद नहीं था, उन्हें रेसलिंग में रूचि थी

- ध्यानचंद ने 16 साल में ही इंडियन आर्मी को ज्वाइन किया, जिसके बाद हॉकी खेलना शुरू किया

- ध्यानचंद रात के समय में अभ्यास करते थे, इसलिए साथी खिलाड़ियों ने चांद नाम दिया 

- साल 1928  एम्सटर्डम ओलिंपिक खेलों में वह भारत की ओर से सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी रहे

- उस टूर्नामेंट में ध्यानचंद ने 14 गोल किए, और एम्सटर्डम से ही मिला हॉकी का जादूगर नाम

- ध्यानचंद ने 1928, 1932 और 1936 ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया, और गोल्ड मेडल भी जीता

-  हॉलैंड में एक मैच के दौरान चुंबक होने की आशंका के कारण मेजर ध्यानचंद की  स्टिक तोड़कर देखी गई

- बर्लिन ओलिंपिक में ध्यानचंद की  प्रतिभा से प्रभावित होकर जर्मन तानाशाह हिटलर ने जर्मन आर्मी जॉइनिंग करने का ऑफर दिया 

- हॉकी के महान खिलाड़ी ध्यानचंद ने अतंरराष्ट्रीय हॉकी में 400 गोल दागे, और अपने खेल से दुनियाभर को हैरान किया

- ध्यानचंद को अपने आखिरी दिनों में पैसों की भारी कमी थी, क्योंकि उन्हें लीवर में कैंसर हो गया था

- ध्यानचंद का 3 दिसंबर 1979 को दिल्ली में निधन हुआ, उनका अंतिम संस्कार उसी मैदान पर हुआ, जहां वह हॉकी खेला करते थे

- विएना के एक स्पोर्ट्स क्लब में ध्यानचंद के चार हाथों वाली मूर्ति लगी है, उनके हाथों में हॉकी स्टिक हैं

- उस खास मूर्ति को लगाने का उद्देश्य यह  है कि उनकी हॉकी में कितना जादू था

- मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने की  मांग उठती रही है, लेकिन सभी सरकारों ने काफी बेरुखी दिखाई

- ध्यानचंद ने ओलंपिक खेलों में 101 गोल और अंतरराष्ट्रीय खेलों में 300 गोल दाग कर ऐसा रिकॉर्ड बनाया जिसे कोई तोड़ नहीं पाया है

- मेजर ध्यानचंद को  साल 1956 में भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया

- दिल्ली में उनके नाम पर हॉकी स्टेडियम का उद्घाटन भी किया गया, इसके अलावा भारतीय डाक सेवा ने भी ध्यानचंद के नाम से टिकट चलाई

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