Power Crisis: भीषण गर्मी के बीच कोयले की कमी ने बढ़ाई परेशानी, कई राज्यों में बिजली संकट जारी

भिन्न राज्यों में बिजली कटौती या अन्य तकनीकी दिक्कतों के चलते कूलर-एसी आकार में आ गए हैं. इस समस्या का सबसे बड़ा कारण कोयले की कमी माना जा रहा है.

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अप्रैल का महीना खत्म होने को है और सूरज ने अपना सख्त रवैया दिखाना शुरू कर दिया है. लोग गर्मी से बचने के लिए घर के अंदर ज्यादा समय बिताना चाहते हैं, लेकिन यहां भी मुश्किलें उनके लिए कम नहीं हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं बिजली संकट की, देश भर से आ रही खबरों के मुताबिक, विभिन्न राज्यों में बिजली कटौती या अन्य तकनीकी दिक्कतों के चलते कूलर-एसी आकार में आ गए हैं. इस समस्या का सबसे बड़ा कारण कोयले की कमी माना जा रहा है. 

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उत्तर प्रदेश

मौसम के बढ़ते तापमान से राज्य की बिजली व्यवस्था पटरी से उतर रही है. अघोषित बिजली कटौती से जिला मुख्यालय से लेकर राजधानी लखनऊ तक ग्रामीण क्षेत्र समेत अन्य बड़े शहर दिन-रात जूझ रहे हैं. राज्य भार प्रेषण केंद्र ने भी अपनी वेबसाइट से दैनिक आपूर्ति रिपोर्ट को हटा दिया है ताकि वास्तविक स्थिति सामने न आए. बता दें कि प्रदेश में बिजली की मांग करीब 20,000 मेगावाट है जबकि उपलब्धता 18000-19000 मेगावाट के बीच चल रही है. वितरण और पारेषण नेटवर्क पर ओवरलोडिंग व अन्य स्थानीय गड़बड़ी के कारण भी समस्या बढ़ रही है.

उत्तराखंड

राज्य में बिजली की वार्षिक मांग 2468 मेगावाट है.  प्रदेश की जनता की समस्याओं के बीच मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद यूपीसीएल ने खुद माना है कि वह एक हफ्ते में कटौतियों पर काबू पा लेगी. बता दें कि यूपीसीएल ने 36 मेगावाट बिजली की व्यवस्था की है, लेकिन देखा जाए तो यह राज्य की मौजूदा मांग को पूरा करने के लिए नाकाफी है. राज्य को फिलहाल 100 मेगावाट बिजली की जरूरत है.

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राजस्थान

कोयला संकट का असर अब राजस्थान में भी दिखने लगा है. गर्मी के मौसम में राज्य में बिजली की मांग करीब 31 फीसदी बढ़ गई है. जबकि कोयले के रेक आने की संख्या में कमी आई है. इससे बिजली कटौती बढ़ती जा रही है और राज्य के लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है. राजस्थान में प्रतिदिन 27 रेक की आवश्यकता होती है, जबकि केवल 18 से 20 रेक ही उपलब्ध होते हैं. आने वाले दिनों में कोयले की कमी की समस्या और बढ़ सकती है. बिजली कटौती भी बढ़ सकती है.

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश में बिजली की समस्या गहराने के बाद लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं कोयले की किल्लत और बिजली संकट से राज्य में सियासी घमासान भी तेज हो गया है. इस बीच राज्य के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर की ओर से सरकार का बचाव करते हुए कहा गया कि कुछ समस्याएं हैं जिनका समाधान हम युद्धस्तर पर कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि मध्य प्रदेश में कोयले की कोई कमी नहीं है. गर्मी बढ़ गई है, इसलिए बिजली की मांग भी बढ़ गई है, इसलिए उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है.

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