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2020 में कोविड-19 की वजह से आए आर्थिक संकट के बाद अब सभी की निगाहें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी, 2021 को पेश किए जाने वाले वार्षिक बजट पर टिकी हुई हैं। इतिहास में पहली बार इस साल बजट पेपरलेस होगा । यह वर्ष अलग है क्योंकि देश महामारी के कारण सबसे कठिन आर्थिक स्थितियों पर काबू पा रहा है, और इसी के साथ लोग राहत की तलाश में बजट से उम्मीदें रख रहे हैं।
बजट सत्र 29 जनवरी 2021 को शुरू होने वाला है तो चलिए हम आपको बताते हैं कि आम आदमी को इससे क्या उम्मीदें हैं?
टैक्स स्लैब में वृद्धि
हर साल, वेतन पाने वाले व्यक्ति आयकर ब्रैकेट में बदलाव के लिए तत्पर रहते हैं और टैक्स ब्रैकेट में वृद्धि एक ऐसी चीज है जिसकी लोग इस वर्ष से उम्मीद कर रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि हाल में पेश किए गए टैक्स स्लैब से कई करदाताओं का काम नहीं चल रहा है। वेतनभोगी व्यक्ति उच्च मुद्रास्फीति की गर्मी महसूस कर रहे हैं, साथ ही आगे आने वाले वित्तीय वर्ष में वेतन पाने वाले व्यक्तियों की आय में वृद्धि होने की संभावना थोड़ी कम है। टैक्स स्लैब की सीमा में बढ़ोत्तरी आम आदमी को कुछ ज़्यादा डिस्पोजेबल आय देकर राहत दे सकती है जो बदले में खपत को कम करने में मदद करेगी।
मौजूदा कर स्लैब 2.5-5 लाख रुपये के बीच आय के लिए 5 प्रतिशत, 5-10 लाख रुपये के लिए 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से अधिक आय वाले 30 प्रतिशत हैं। नई कर व्यवस्था के लिए चयन करने वाले व्यक्तियों के लिए दरें थोड़ी भिन्न हैं।
उच्च कर कटौती
एक कर छूट के संबंध में, कर में कटौती का लाभ उठाने के लिए धारा 80 सी के तहत ऐसा नियम है कि उच्च कटौती वेतनभोगी करदाताओं को लंबी अवधि के निवेश को बचाने और बनाने में मदद मिल सकती है। ब्याज चुकाने पर ज़्यादा टैक्स में मिलने वाली छूट के रूप में आने वाले वित्तीय वर्ष के दौरान नए घर खरीदारों के लिए और दूसरे कर लाभ के अलावा, उन वेतन पाने वाले वयक्तियों की भी मदद कर सकते हैं जो कि घर ख़रीदने का विचार कर रहे हैं।
अधिकांश का मानना है कि एफएम को एनपीएस के संबंध में व्यक्तियों के लिए कटौती की सीमा को 50,000 से 100,000 या 150,000 रूपये तक बढ़ाने का विचार करना चाहिए।
वर्तमान में धारा 80 सी के तहत, कटौती करने के लिए 150,000 रुपए की सीमा पर्याप्त नहीं है और अधिक कटौती से लोगों को कर बचाने और लंबी अवधि के निवेश को प्रोत्साहित करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, कुछ का मानना है कि कराधान के नजरिए से इसे ईईई बनाने से भी बड़ी राहत मिलेगी।
महामारी के चलते लोगों को चिकित्सा खर्चों को कवर करने की आवश्यकता का एहसास हुआ है। स्वास्थ्य संबंधी ख़तरों में हर साल ही बढ़ोत्तरी हो रही है और इसके लिए एक अच्छे स्वास्थ्य बीमा की ज़रूरत बहुत ज़्यादा महत्वपूर्ण है। इसी को देखते हुए स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम के लिए धारा 80 डी के तहत सीमा कर में एक उच्च छूट के साथ-साथ लोगों को पर्याप्त स्वास्थ्य कवर का विकल्प भी चुनने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
क्या होने की संभावना है?
एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त मंत्री से कर देने वालों की आय बढ़ाने के लिए हाल में व्यक्तिगत आयकर दाता के लिए मूल कर छूट की सीमा को बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये से 5 लाख रुपये करने की उम्मीद की जा रही है।




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