कोरोना से हुआ कवि कुंवर बेचैन का निधन, नोएडा के अस्पताल में चल रहा था इलाज

कोरोना के चलते देश के विख्यात कवि और गीतकार डॉ. कुंवर बेचैन का निधन हो गया. ऐसे रचा उन्होंने साहित्य में इतिहास.

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कोरोना के चलते इस वक्त देश की क्या स्थिति होती जा रही है, इसके बारे में हर कोई जानता है. इसके चलते हम कई अहम सितारों और अपनों को खो चुके हैं. इसका सिलसिला लगातार जारी है. गुरुवार को कोरोना बीमारी के चलते देश के प्रसिद्ध कवि और गीतकार डॉ. कुंवर बेचैन का निधन हो गया है. नोएडा के कैलाश अस्पताल में इस वक्त उनका इलाज चल रहा था.

हिंदी साहित्य के मजबू हस्ताक्षरों में शुमार कुंअर बेचैन ने अनेक विधाओं में साहित्य-सृजन किया है. उनके गीत संग्रह, गजल संग्रह, काव्य संग्रह, महाकाव्य तथा एक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं. डॉ. कुंअर बेचैन का वास्तविक नाम डॉ. कुंवर बहादुर सक्सेना है.  उनका जन्म 1 जुलाई 1942 को यूपी के जिला मुरादबाद के उमरी गांव में हुआ था. उन्होंने अपना बचपन चंदौसी में जिया. यदि उनकी शिक्षा की यदि करें तो उन्होंने एम. कॉम के साथ एम. ए हिंदी और पी. एड. डी की पढ़ाई की है. वो गाजियाबाद के एम. एम. एच महाविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष के रूप में अध्यापन कार्य कर चुके हैं. वो यहां रीडर भी रहे हैं.

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सम्मान: साहित्य सम्मान (1977), उ०प्र० हिंदी संस्थान का साहित्य भूषण (2004), परिवार पुरस्कार सम्मान, मुंबई (2004), राष्ट्रपति महामहिम ज्ञानी जैलसिंह एवं महामहिम डॉ शंकरदयाल शर्मा द्वारा सम्मानित, अनेक विश्व विद्यालयों तथा महाराष्ट्र एवं गुजरात बोर्ड के पाठ्यक्रमों मे संकलित. कुंअर बेचैन हिंदी की वाचिक परम्परा के प्रख्यात कवि माने जाते रहे हैं. उन्होंने अपनी गजलों, गीतों और कविताओं से हिंदी श्रोताओं के बीच एक खास मुकाम बनाया है. वो शब्दों की गेयता के साथ भावनाओं की संगत के लिए खास तौर पर जाने जाते थे.

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