दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला, झगड़ालू प्रवृति की बहू को घर में रहने का अधिकार नहीं

कोर्ट ने बहू की अपील को खारिज कर दिया है. सास-ससुर के पक्ष में फैसला सुनाया. कोर्ट का कहना है के, बुजुर्ग सास-ससुर को शांति से जीने का हक है. वो अपने सुकून के लिए बहू को घर से बाहर निकाल सकते हैं.

  • 1561
  • 0

कोर्ट ने बहू की अपील को खारिज कर दिया है. सास-ससुर के पक्ष में फैसला सुनाया. कोर्ट का कहना है के, बुजुर्ग सास-ससुर को शांति से जीने का हक है. वो अपने सुकून के लिए बहू को घर से बाहर निकाल सकते हैं. संयुक्त परिवार में संपत्ति की मालिक बहू को संपत्ति से भी बेदखल कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें:पीएम मोदी का पुणे दौरा, जानिए क्या है 11,440 करोड़ का मोदी गिफ्ट ?

बहू पर भी तंजा कसा गया

घरेलू हिंसा के मामले में अब ससुराल वाले सास ससुर या पति पर ही नहीं बल्कि बहू पर भी तंजा कसा गया है. अक्सर हम देखते हैं की घरेलू हिंसा के मामले में पति या सास-ससुर को दोषी ठहराया जाता है. लेकिन यह कोई नहीं सोचता की गलती बहू की भी हो सकती है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसला लिया है. जहां एक बहू की अपील को खारिश कर दिया. झगड़ालू प्रवृत्ति की बहू को संयुक्त घर में रहने का कोई अधिकार नहीं है और संपत्ति के मालिक यानी सास ससुर उसे घर से बेदखल कर सकते हैं. पति-पत्नी के बीच अक्सर लड़ाई-झगड़े होते थे. पति ने पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई. पत्नी ने भी लोअर कोर्ट में केस दर्ज किया. वहीं बूढ़े सास-ससुर बेटे-बहू के रोजाना के झगड़े से परेशान हो गए थे. जिसके बाद बेटा घर छोड़कर किराए के मकान में शिफ्ट हो गया, लेकिन बहू अपने बुजुर्ग सास-ससुर के खिलाफ खड़ी रही. इस मामले में मौजूदा मामले में बहू जब तक शादी के बंधन में रहेगी उसे घरेलू हिंसा के अधिनियम की धारा 19(1) (एफ) के तहत दूसरा घर दिया जाएगा. यदि अगर बहू का तलाक नहीं हुआ है और सास-ससुर उसे घर से बाहर निकाल रहे हैं तो वो बहू को रहने की दूसरी व्यवस्था करेंगे. इसकी जिम्मेदारी सुसराल वालों की होगी.

यह भी पढ़ें:Delhi Weather: दिल्ली में 9 मार्च से फिर बदलेगा मौसम, मौसम विभाग ने किया अलर्ट

सास-ससुर बहू को संपत्ति से कर सकते है बेदखल

दिल्ली हाईकोर्ट के जज योगेश खन्ना ने कहा कि, संयुक्त परिवार के घर के मामले में संबंधित संपत्ति के मालिक मां बाप सास या ससुर बहू को संपत्ति से बेदखल कर सकते हैं. हालांकि, एक पुराने मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि, घरेलू हिंसा से पीड़ित पत्नी को पति के माता-पिता के घर में सिर्फ रहने का कानूनी हक है, लेकिन पति के बनाए घर पर पत्नी का अधिकार होगा.

RELATED ARTICLE

LEAVE A REPLY

POST COMMENT