जानिए जांबाज लड़की की कहानी, जिसमें स्टंट में दी लड़कों को मात

लखनऊ शहर से ताल्लुक रखने वाली हाशिम की जोकि देश की सबसे युवा महिला स्टंट बाइकर हैं. अनम हाशिम अब तक खारदूंगल तक अपनी टीवीएस स्कूटी से दो बार जा चुकी है.

  • 2011
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आज के समय में लड़का लड़की एक सामान है. आज अगर कोई ये मानता है कि लड़की कुछ नहीं कर सकती और लड़का सबकुछ कर सकता है तो वह इंसान बिल्कुल गलत हैं. जी हां हम बात कर रहे है लखनऊ शहर से ताल्लुक रखने वाली हाशिम की जोकि देश की सबसे यंग वूमन स्टंट बाइकर हैं. अनम हाशिम अब तक खारदूंगल तक अपनी टीवीएस स्कूटी से दो बार जा चुकी है. खारदुंगला पास लद्दाख में है और लगभग 18,000 फीट की ऊंचाई पर है उन्होंने टीवीएस जेस्ट में दस लड़कियों की एक टीम को भी लीड किया था. चालिए जानते जांबाज अनम हाशिम की कहानी जोकि देश की युवा महिला स्टंट बाइकर है.

पिता ने किया वादा पूरा

बाइक राइडिंग मुझे हमेशा से आकर्षित करती थी. जब मैं लड़कों को स्कूल में बाइक चलाते  समय स्टंट करते देखा करती था। यह उस समय संभव नहीं था, लेकिन इस इच्छा को मैंने दबा दिया था। मैं पढ़ाई करता रही फिर एक दिन मैंने अपने पिता से कहा कि अगर मुझे स्कूटी चाहिए. तो उन्होंने कहा कि तुम्हे स्कूटी जबही मिलेगी जब मैं बोर्ड में अच्छे अंक प्राप्त करुगी. अपने पिता पर विश्वास करते हुए मैंने पढ़ना शुरू कर दिया कि अगर मुझे अच्छे नंबर मिले तो मुझे स्कूटी मिल जाएगी. आखिरकार मेरी मेहनत रंग लाई। मुझे अच्छे अंक मिले. पापा ने अपना वादा पूरा किया और मुझे एक स्कूटी मिली. इसके बाद उन्होंने मुझे गाड़ी चलाना भी सिखाया. इस बीच, एक दिन जब मैं एक सड़क पर गुजर रहा था, मैंने कुछ लड़कों को स्टंट करते देखा.


वे स्टंट करते हुए बाइक पर खड़े थे. मैंने ऐसे अनजान लड़कों को रोका और कहा कि ये तुम लोग क्या कर रहे हो. मैं भी यह कर सकती हूं, फिर वह पहले हंसे. उन्होंने तब मुझसे कहा कि ठीक है तुम स्टंट करके दिखाओं.  यह दिखाना ठीक है. मैंने वो स्टंट किया और बिल्कुल सही था. वे लड़के भी हैरान थे कि एक लड़की ने ऐसा खतरनाक स्टंट कैसे किया. इसके बाद मेरा पहला स्टंट तब लोगों के सामने आया जब सोलह साल की उम्र में, स्टंट का एक वीडियो यूट्यूब पर वायरल हुआ.

फैमिली बनाना चाहती थी इंजीनियर

जब मेरे परिवार को इस बारे में पता चला तो वे लोग गुस्सा हो गए. उन्होंने कहा कि यह सब करना सही नहीं है. वे चाहते थे कि मैं इंजीनियर बनूं. मैंने भी उनकी बात मानी और कहा कि मुझे लखनऊ के बजाय पुणे से पढ़ाई करनी है. इसलिए मेरे पिता ने मुझे पुणे भेजा. यहां मैं अपनी मौसी के साथ रही. वह एक विकलांग थी. मैं उनकी देखभाल करती था.  इसके साथ मैंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की लेकिन मेरा दिल पढ़ाई में नहीं लगा क्योंकि मेरा दिमाग कहीं और था. इसके लिए मैंने इससे निकलने का रास्ता ढूंढना शुरू किया.

मैंने फेसबुक में अपनी प्रोफाइल पर जाकर लिखा कि मैं स्‍टंट राइडर हूं.सोशल मीडिया से मुझे अच्‍छा रिस्‍पांस मिला. कई लोगों ने इनबॉक्‍स मुझे अलग-अलग जगहों की जानकारी दी और अपने ग्रुप में शामिल किया. मैंने खुद अनजान लड़कों से कुछ और स्टंट सीखे और उसे तराशा. इस तरह मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ी. कई कॉलेज सांस्कृतिक समारोहों में भाग लिया. इस तरह मेरी पॉकेट मनी निकलने लगे.

लोगों ने बनाई कई बातें

अब सब कुछ ठीक हो रहा था तभी जिन लड़कों के ग्रुप में थी तो वो लोग अब मेरी खिचांई करने लगे थे. मेरे पीठ-पीछे बातें करने लगे थे. मुझसे जलने लगे थे. मुझे कामयाब होता देखकर बातें बनाने लगे थे.अगर कोई लड़का स्टंट करता है तो उसे दमदार कहते हैं, लेकिन अगर लड़की करे तो कहेंगे कि इसका तो दिमाग ठीक नहीं है, किसी ने कहा कि जब हाथ-पैर टूटेंगे तो उठ भी नहीं पाएगी. लोगों से ज्यादा बात नहीं करती हूं तो कहते हैं बड़ा घमड़ है इसमें. इस तरह की बातों ने काफी परेशान किया, लेकिन मैं अपने रास्ते से भटकी नहीं.


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