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हिंदू धर्म में पूजा का जितना महत्व माना जाता है, उसमें रखे जाने वाले व्रत और त्योहारों की उतनी ही अधिक आस्था है. शास्त्रों के अनुसार कहा गया है कि व्रत और उपवास भगवान को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए किया जाता है. लेकिन बहुत कम लोग हैं जो इस बात से वाकिफ हैं कि हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले प्रत्येक व्रत का अपना महत्व है. जी हाँ ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सोमवार से रविवार तक मनाए जाने वाले व्रतों का अलग ही महत्व है.
शुक्र ग्रह
शुक्रवार का संबंध शुक्र ग्रह से है, इसलिए इस दिन को शुक्रवार के नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन किसी की कुंडली में शुक्र ग्रह को ठीक करने के लिए जहां एक ओर उनसे संबंधित उपाय किए जाते हैं वहीं दूसरी ओर इस दिन देवी लक्ष्मी का व्रत भी रखा जाता है. आपको बता दें कि शास्त्रों में देवी लक्ष्मी को धन और वैभव की अधिष्ठात्री देवी कहा गया है. इसके अलावा कुछ मान्यताओं की मानें तो इस दिन संतोषी माता का व्रत करने की भी मान्यता है.
शुक्रवार का व्रत
जो व्यक्ति शुक्रवार का व्रत करता है, उसे देवी लक्ष्मी की कृपा से जीवन में सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो कहते हैं कि व्रत करने के बाद भी उन्हें कोई शुभ फल नहीं मिलता है. दरअसल क्योंकि कुछ लोग इन व्रतों को नहीं करते हैं जैसे सुबह नहीं उठना और उपवास के अन्य नियमों का पालन करना आदि.
व्रत का लाभ
इस व्रत का लाभ प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए, स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए और फिर प्रातः काल उचित तरीके से देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. फिर शाम को माता का आसन बिछाएं और पूजा पाठ कर शुक्रवार के व्रत की कथा पढ़कर आरती करें. इसके बाद माता राणा की कृपा प्राप्त कर सबसे पहले प्रसाद को सभी में बांटें और स्वयं भोजन करें.




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