देशभर के बाजारों में खाद्य तेलों की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है. विशेष रूप से रिफाइंड और सूरजमुखी तेल की कीमतों में पिछले 15 दिनों में लगभग इतने प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष का सूरजमुखी तेल की आपूर्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ा है. दोनों देशों के बीच जंग की वजह से खाद्य तेल की कीमतों में तेजी आई है. हालांकि अभी इसका असर सरसों तेल की कीमतों पर नहीं पड़ा है, लेकिन जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में इसका असर सरसों तेल की कीमतों पर पड़ सकता है. दरअसल, देशभर के बाजारों में खाद्य तेलों की कीमतों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है. विशेष रूप से रिफाइंड और सूरजमुखी तेल की कीमतों में पिछले 15 दिनों में लगभग 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
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जहां 15 दिन पहले रिफाइंड 140 रुपये प्रति लीटर था, वहीं अब यह बढ़कर 165 रुपये प्रति लीटर हो गया है. सूरजमुखी तेल पहले 140 रुपये था, जो अब 170 रुपये हो गया है. वहीं, देसी घी की कीमत पहले 360 रुपये थी, जो अब बढ़कर 420 रुपये और वनस्पति तेलों की 20 रुपये हो गई है.
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आपको बता दें कि रूस और यूक्रेन सूरजमुखी के तेल के सबसे बड़े उत्पादक हैं. सप्लाई चेन पर पहले कोरोना और अब जंग का असर पड़ा है. जिसका असर दुनियाभर के बाजारों पर देखने को मिल रहा है. जानकारों का कहना है कि खाने-पीने की चीजों की कीमत के पीछे कोई न कोई वजह जरूर होती है. इनमें दुनिया भर में कच्चे तेल की कीमतों में 30 प्रतिशत की उछाल, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध, महंगा शिपमेंट, आपूर्ति लाइन में व्यवधान और शीतकालीन पाम तेल आयात शामिल हैं.