शरीर में कोलेस्ट्रॉल की सही मात्रा है जरूरी, जानें कितने प्रकार के होते हैं और किसका कैसा होता है प्रभाव?

शरीर में कोलेस्ट्रोल नियंत्रित रखने के लिए ये जानना बहुत ज़रूरी है कि कोलेस्ट्रोल पूरे शरीर में रक्त के एक सबस्टैन्सेज़ के माध्यम से प्रवाह करता है जिसका नाम है लीपोप्रोटीन और ये दो प्रकार के होते हैं।

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हमारी भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हम अक्सर अपने शरीर की केयर करना भूल जाते हैं। हमने कहीं न कहीं खुद को महत्व देना छोड़ दिया है। लेकिन हम इस बात से भी इनकार नहीं कर सकते कि एक स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। अगर हमारा दिमाग़ स्वस्थ नहीं होगा तो हम अपना काम ठीक से नहीं कर पायेंगे। इसलिए ये बेहद ज़रूरी है कि हम अपने शरीर पर उतना ही ध्यान दें जितना की बाक़ी चीज़ों पर देते हैं। शरीर में हर चीज़ की आवश्यक मात्रा में या यूं कहें कि संतुलित मात्रा में ज़रूरत होती है। किसी भी चीज़ की मात्रा कम या ज़्यादा हो जाए तो शरीर को नुक़सान पहुंचाती है। 


आज हम यहां आपको बताने जा रहे हैं कोलेस्ट्रोल के बारे में जिसकी मात्रा अगर आपके शरीर में ज़्यादा बढ़ जाती है। तो कई सारी बीमारियों के होने का ख़तरा होता है, रिस्क लेवल बढ़ जाता है। इसके लिए आपको कुछ ख़ास नहीं करना है न परेशान होना है। सिर्फ़ अपने डॉक्टर से रूटीन चेकप करवायें और वो जो भी चीज़ें कहें उन्हें फ़ॉलो करें। इसके अलावा हम आपको यहां कुछ आसान उपाय बताने जा रहे हैं जिससे आपका कोलेस्ट्रोल हमेशा संतुलित रहे। 


गुड और बेड कोलेस्ट्रोल


कोलेस्ट्रोल को संतुलित करने से पहले इस अंतर को समझना भी बेहद ज़रूरी है क्योंकि हर चीज़ की संतुलित मात्रा शरीर के लिए ज़रूरी है। अगर कोलेस्ट्रोल नियंत्रित हो तो ये आपके शरीर के लिए फ़ायदेमंद है। ये आपके शरीर में ज़रूरी हार्मोंस बनाने में मदद करता है, विटामिन डी की कमी पूरी करता है साथ ही लिवर के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी बाइल ऐसिड भी कोलेस्ट्रोल ही बनाता है।


तो इससे ये पता चलता है कि शरीर में प्रक्रतिक रूप में पाया जाने वाला कोलेस्ट्रोल शरीर के लिए फ़ायदेमंद है। लेकिन शरीर में कोलेस्ट्रोल बाहर से भी आ सकता है जो कि हानिकारक होता है। जो हम बाहर की चीज़ें खाते हैं, डेरी प्रोडक्ट का इस्तेमाल मांस आदि इन सब के कारण शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ जाती है। 


शरीर में कोलेस्ट्रोल नियंत्रित रखने के लिए ये जानना बहुत ज़रूरी है कि कोलेस्ट्रोल पूरे शरीर में रक्त के एक सबस्टैन्सेज़ के माध्यम से प्रवाह करता है जिसका नाम है लीपोप्रोटीन और ये दो प्रकार के होते हैं।


1 : लो डेन्सिटी लीपोप्रोटीन- ये बेड कोलेस्ट्रोल माने जाते हैं क्योंकि ये शरीर में प्रवेश करके रक्त वाहिकाओं में रक्त के प्रवाह को रोकती हैं जिससे दिल की बीमारियों का ख़तरा या स्ट्रोक के ख़तरा बढ़ जाता है।


2: हाई डेन्सिटी लीपोप्रोटीन-  ये गुड कोलेस्ट्रोल होता है ये एलडीएल को लिवर तक पहुंचने में मदद करता है। शरीर में जितना ज़्यादा एचडीएल का लेवल होता है ह्रदय सम्बंधित बीमारियों का ख़तरा उतना ही कम हो जाता है।


अब शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए आपको अपनी डाइट का पूरा ख़्याल रखना होगा। जिसमें कोलेस्ट्रोल की मात्रा बहुत ज़्यादा हो ऐसा खाना खाने से बचना होगा। सबसे ज़्यादा समझने वाली बात ये है कि जो आप खा रहे हैं उसमें एचडीएल या एलडीएल का क्या लेवल है। 


1: सेचुरेटेड फ़ैट


सबसे ज़्यादा फ़ैट जानवरों के फ़ैट और डेरी प्रॉडक्ट्स में पाया जाता है। 

 

रेड मीट जैसे बीफ़, लेंब और पोर्क


चिकिन स्किन


डेरी प्रोडक्ट जैसे चीज़, मक्खन, क्रीम


नारियल का तेल और कोकोआ बटर


पाल्म का तेल 


इन सभी खाद्य पदार्थों मे एलडीएल पाया जाता है जो हानिकारक होता है। लेकिन इनमे एचडीएल भी पाया जाता है। इसलिए इन्हें बिल्कुल खाना न छोड़ें थोड़ी मात्रा में खायें जिससे संतुलन बना रहे।


2: ट्रांस फ़ैट


ट्रांस फ़ैट सेचुरेटेड फ़ैट से भी ज़्यादा ख़तरनाक होता है। वैसे तो ये नेचुरल तरह से कुछ मीट और डेरी प्रोडक्ट में पाए जाते हैं लेकिन ये ज़्यादा हानिकारक तब होते हैं जब इन्हें आर्टिफ़िशल तरह से बनाया जाता है ज़्यादा तर ये तेल में पाए जाते हैं। इस तेल का इस्तेमाल बाज़ार में बने तले भुने खाने में और पेकिंग वाले सामान में होता है। 


3: सेचुरेडेट और ट्रांस फ़ैट को अनसेचुरेटेड फ़ैट से बदलें


जैसा कि हम कह रहे हैं कि सभी फ़ैट ख़राब नहीं होते। जब आप किसी फ़ैट की मात्रा को ज़्यादा लेते हैं तभी वो आपके शरीर पर ख़राब प्रभाव डालती है। इसलिए अपने शरीर को दिल को स्वस्थ मज़बूत रखने के लिए हेल्थी चीज़ों का सेवन करना चाहिए। दो प्रकार के अनसेचुरेटेड फ़ैट होते हैं। मोनोअनसेचुरेटेड और पॉलीअनसेचुरेटेड फ़ैट। इन दोनो की सही मात्रा आपके शरीर में कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने के लिए बहुत ही फ़ायदेमंद साबित हो सकता है। ख़ासतौर पर जब इसे सेचुरेटेड और ट्रांस फ़ैट की जगह इस्तेमाल किया जाए।


मोनोअनसेचुरेटेड फ़ैट के फ़ायदे


इसका सबसे बड़ा फ़ायदा है कि ये शरीर में बेड कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम और गुड कोलेस्ट्रोल की मात्रा को बढ़ाता है।


एवोकेड्स


बादाम, काजू  आदि खायें


केनोला, ऑलिव, और मूंगफली के तेल में खाना पकायें


पॉलीअनसेचुरेटेड फ़ैट के फ़ायदे


ये भी ह्रदय के लिए होने वाले ख़तरे को कम करता है। साथ ही शरीर में एलडीएल कोलेस्ट्रोल को कम करता है। 


अखरोठ


सूरजमुखी के बीज


मछली जैसे हेरिंग और टूना


4:  रोज़ाना व्यायाम करें


रोज़ व्यायाम करना आपके सेहत के लिए बहुत ही फ़ायदेमंद सिद्ध होता है। ये आपके शरीर के बढ़ते हुए कोलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित करता है। शोध में पाया गया है कि व्यायाम एचडीएल के लेवल को बढ़ाता है और शरीर में एलडीएल की मात्रा को बढ़ने से रोकता है। इसके लिए आप एरोबिक्स करें, वॉक, जॉगिंग और नियमित व्यायाम करें। 


5: धूम्रपान न करें


अगर आप नियमित तौर पर स्मोक करते हैं तो इसे अभी बंद कर दीजिए। क्योंकि ये आपके लिए बहुत ज़्यादा ख़तरनाक होता है। स्मोक करने से आपके शरीर में बेड कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ती है। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपके शरीर में कोलेस्ट्रोल नियंत्रित रखना चाहते हैं तो स्मोक करना छोड़ दें। 


6: मॉडरेशन में शराब पीना


शराब पीना आपकी सेहत के लिए हानिकारक होता है। शराब का एक ग्लास भी शरीर में एचडीएल कोलेस्ट्रोल का लेवल में बढ़ावा होता है। इसलिए जितना हो सकें शराब पीने से बचें।


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