भारत में इस समय कोयले का संकट जारी है. जिन बिजली घरों पहले 15 20 दिनों का कोयले का स्टॉक होता था वहाँ अब मात्र 5 6 दिन का स्टॉक ही बचा है. भारत में आधे से ज्यादा पावर प्लांट में तो सिर्फ एक दो दिन का स्टॉक ही बचा है. ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, विदेश से आने वाले कोयले के दाम बढ़ने से इसकी सप्लाई कम हुई है. हर जगह कोयले की कमी देखने को मिल रही है और घरेलू कोयले पर निर्भरता बढ़ रही है.
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तेजी से बढ़ी कोयले की कीमत
एशिया में थर्मल कोयले के दाम रिकॉर्ड तोड़ ऊंचाई पर पहुंच गए हैं, जिससे चीन और भारत में कोयले का संकट खड़ा हो गया है. चाइना के बाद भारत कोयले का सबसे ज्यादा उपयोग करता है. रॉयटर्स ने जानकारी दी है कि ऑस्ट्रेलिया का हाई ग्रेड थर्मल कोयले के दाम 8 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में 229 डॉलर प्रति टन पहुंची हैं, लेकिन इस साल 30 अप्रैल को कोयले के दाम 88.52 डॉलर प्रति टन थी.
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भारत में कोयला खरीद हुई कम
इसी तरह जापान और दक्षिण कोरियाई कोयले के दाम भी पिछले साल के सितंबर की तुलना में इस साल 400% से ज्यादा बढ़ गए हैं. वहीं, इंडोनेशियाई में कोयला जो 2020 में अपने अभी तक के सबसे निचले स्तर 22.65 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया था, उसकी कीमत 439% बढ़कर 8 अक्टूबर को 122.08 डॉलर प्रति टन हो गई है.
कोयले के बढ़ते दामों से आयात प्रभावित
कोयले के बढ़ते दाम से इसके आयात पर प्रभाव पडा़ है. भारत ने भी कोयले के आयात में कटौती कर दी है. रॉयटर्स ने कमोडिटी कंसल्टेंट Kpler के हवाले से बताया है कि भारत का आयात जून के बाद से कम होता जा रहा है. भारत ने अक्टूबर के पहले हफ्ते में 2.67 मिलियन टन कोयले का आयात किया था जबकि पिछली साल इसी दौरान 3.99 मिलियन टन कोयला आयात किया था.
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