पत्रकारिता राष्ट्र निर्माण का “चौथा स्तंभ” है. आज टीवी न्यूज़ चैनलों के 24 घंटों के प्रसारण, सोशल मीडिया (फेसबुक, ट्विटर)के होते हुए भी इसका महत्व कम नहीं हुआ है. बेशक आज पत्रकारिता के कई रूप हैं, कई भाषाओं पत्रकारिता में हैं. लेकिन हिंदी पत्रकारिता अपनी व्यापकता, पहुंच में बहुत आगे है. हिंदी पत्रकारिता दिवस 30 मई को हिंदी पत्रकारिता के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. क्योंकि इसी दिन हिंदी भाषा का पहला समाचार पत्र उदंत मार्तंड प्रकाशित हुआ था. पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने 30 मई 1826 को कलकत्ता से साप्ताहिक समाचार पत्र के रूप में इसकी शुरुआत की थी. वे स्वयं प्रकाशक और संपादक थे.
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हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत 30 मई 1826 को पं.जुगल किशोर शुक्ल द्वारा बंगाल में की गई थी. पत्र का नाम था 'उदंत मार्तंड '. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का दायरा बढ़ गया है. इसके साथ ही इलेक्ट्रॉनिक दुनिया ने डिजिटल युग में प्रवेश कर लिया है. जिससे लोगों को मोबाइल पर जानकारी मिलती है. इतना ही नहीं इंटरनेट के जरिए लोगों को जानकारी मिलती है. वर्तमान में कई समाचार पोर्टल हैं जो इंटरनेट पर अपने समाचार प्रसारित करते हैं. हालांकि इस माध्यम में विश्वसनीयता फिलहाल कम है. लेकिन लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया के आगमन के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई है.
भारत में मीडिया की शुरुआत के बारे में बात करते हैं, तो इसकी उत्पत्ति नारद मुनि के संवाद के रूप में हुई और फिर राजा महाराजाओं ने अपने राज्यों में जो जानकारी चिपकाई. लेकिन हम किस परिचय के साथ देख सकते हैं आधुनिक युग में प्रिंट मीडिया को अंग्रेजों और क्रांतिकारियों द्वारा लाए गए पर्चे से माना जाता है. इस काल में क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश राज व्यवस्था का विरोध कर नवप्रवर्तन किया. तो साथ ही कुछ सामाजिक व्यवस्था के बारे में जन जागरूकता भी पैदा की गई. ऐसे समय में पत्रकारिता एक मिशन था. जिसमें राष्ट्रीय जागरण और समाजवाद की भावना देखने को मिली. लेकिन उसके बाद मीडिया ने पेशेवर रुख अपनाया. वास्तव में इस मामले में मीडिया को पूरी तरह से गलत ठहराना ठीक नहीं है. क्योंकि उस दौर में प्रिंटिंग प्रेस खोलना आसान था.
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