Story Content
इलाहाबाद में एक बार फिर बड़ी संख्या में शवों को गंगा नदी के किनारे रेत में दफनाया जा रहा है. यहां शव को दफनाने की परंपरा पहले से चली आ रही है. लेकिन नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और जिला प्रशासन ने गंगा के घाटों पर शवों को दफनाने पर रोक लगा दी है. बावजूद इसके जिस तरह से परंपरा के नाम पर शवों को दफनाया जाता है, वह बेहद चिंताजनक है. फाफामऊ घाट की ताजा तस्वीरों ने एक बार फिर हमें कोरोना काल की याद दिला दी है. फाफामऊ घाट पर रोजाना दर्जनों शव रेत में दबे जा रहे हैं. जिससे हर जगह सिर्फ कब्रें ही नजर आती हैं.
ये भी पढ़ें:- देश में कोरोना के मामलों में हुआ इजाफा, बीते 24 घंटे में 16.6 फीसदी बढ़े मरीज
दरअसल, मानसून आने में एक महीने से भी कम समय बचा है. ऐसे में नदी का जलस्तर बढ़ने पर गंगा में दबने का भी खतरा है. इससे रेत में दबे शव न केवल गंगा में प्रवाहित होंगे, बल्कि नदी को भी प्रदूषित करेंगे. लेकिन जिला प्रशासन से लेकर नगर निगम तक लोगों ने इस तरफ मुंह मोड़ लिया है. वहीं अंतिम संस्कार में शामिल होने फाफामऊ घाट पहुंचे लोगों का कहना है कि घाट की स्थिति चिंताजनक है. लोगों का आरोप है कि प्रशासन और नगर निगम इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.
Comments
Add a Comment:
No comments available.