Hindi English
Login
Image
Image

Welcome to Instafeed

Latest News, Updates, and Trending Stories

10 जुलाई को रखा जाएगा देवशयनी एकादशी का व्रत, चार माह के लिए सो जाते हैं भगवान विष्णु

चातुर्मास या चौमास देवशयनी एकादशी के दिन से शुरू होता है, क्योंकि इस एकादशी से भगवान विष्णु देवोत्थान एकादशी तक पूरे चार महीने सो जाते हैं.

Advertisement
Instafeed.org

By Pooja Mishra | लाइफ स्टाइल - 08 July 2022

हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है. एकादशी का व्रत और पूजा भगवान विष्णु को समर्पित है. वहीं आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी का सभी एकादशियों में सबसे अधिक महत्व है. इसे देवशयनी, हरिशयनी या सौभाग्यदायिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन से भगवान विष्णु पूरे चार महीने तक सोते हैं. इसके बाद कार्तिक के शुक्ल पक्ष की देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान श्री हरि विष्णु जागते हैं.

देवशयनी एकादशी का महत्व

आषाढ़ शुक्ल की देवशयनी एकादशी के महत्व के बारे में कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने अपने पुत्र नारद को एकादशी के व्रत का महत्व बताया था. बाद में फिर से भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को देवशयनी एकादशी व्रत के महत्व के बारे में भी बताया. इस एकादशी को करने से सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही व्यक्ति सांसारिक सुखों का भोग कर मोक्ष प्राप्त करता है.

आषाढ़ शुक्ल एकादशी
आषाढ़ शुक्ल एकादशी या देवशयनी एकादशी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. फिर पूजा कक्ष को साफ कर गंगाजल छिड़क कर शुद्ध कर लें. उत्तर-पूर्व दिशा में पूजा की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति या मूर्ति स्थापित करें. भगवान को पीले वस्त्र धारण करें और उनका तिलक करें। फूल, फल, मिठाई, पंचामृत और तुलसी अर्पित करें। देवशयनी एकादशी व्रत की कथा सुनें या पढ़ें. पूजा के अंत में भगवान विष्णु की पूजा करें.

Advertisement
Image
Advertisement
Comments

No comments available.