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वक्फ (संशोधन) बिल पर घमासान, विपक्ष हुआ एकजुट, संसद में होगी बड़ी बहस
वक्फ (संशोधन) बिल को लेकर पूरे देश में चर्चा तेज हो गई है। आज, यानी बुधवार (2 अप्रैल) को यह बिल संसद में लोकसभा के पटल पर चर्चा और पारित करने के लिए लाया जाएगा। इस बिल को लेकर विपक्षी पार्टियों ने एकजुटता दिखाते हुए इसे संविधान के खिलाफ बताया है और इसके विरोध में संसद में मजबूती से खड़े रहने का फैसला लिया है।
विपक्ष की रणनीति: सर्वसम्मति से विरोध
मंगलवार (1 अप्रैल) की शाम विपक्षी दलों की महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें सभी विपक्षी पार्टियों ने सर्वसम्मति से यह तय किया कि वे इस बिल का पुरजोर विरोध करेंगे। आरएसपी (RSP) के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने कहा,
"विपक्षी पार्टियों के सभी सदस्य इस बिल पर संसद में होने वाली चर्चा में सक्रिय रूप से भाग लेंगे और एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाते हुए इसके खिलाफ खड़े रहेंगे।"
उन्होंने आगे कहा कि इस बिल के विरोध में कोई वॉकआउट या प्रदर्शन नहीं होगा, बल्कि अकादमिक रूप से इसकी सभी कमियों को उजागर किया जाएगा।
कांग्रेस का रुख, संविधान का उल्लंघन बताया
कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता केसी वेणुगोपाल ने इस बिल पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा,
"इंडिया गठबंधन और सभी समान विचारधारा वाली पार्टियों से हम आग्रह कर रहे हैं कि इस बिल का विरोध करें, क्योंकि यह संविधान का स्पष्ट रूप से उल्लंघन करता है।"
कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों का मानना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के अधिकारों में हस्तक्षेप करता है, जो संविधान के तहत अल्पसंख्यकों को दिए गए अधिकारों का हनन है।
संसद में बड़ी बहस के लिए तय हुआ समय
यह विधेयक पूरे भारत में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के मैनेजमेंट और एडमिनिस्ट्रेशन में सुधार के लिए तैयार किया गया है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने लोकसभा में इस बिल पर 8 घंटे की बहस के लिए समय आवंटित किया है। हालांकि, विपक्ष की मांग है कि इस बिल पर कम से कम 10 घंटे की बहस होनी चाहिए।
विपक्ष का आरोप: असंवैधानिक है बिल
पूरे विपक्ष ने इस बिल को असंवैधानिक करार देते हुए कड़ी निंदा की है। विपक्ष का कहना है कि सरकार अल्पसंख्यक समुदाय की संपत्तियों को प्रभावित करने के लिए यह विधेयक लाई है। कई नेताओं ने इसे राजनीतिक एजेंडा करार दिया है और कहा कि यह बिल सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित कर सकता है।
अब देखना यह होगा कि संसद में इस बिल पर होने वाली बहस किस दिशा में जाती है और सरकार विपक्ष की मांगों पर क्या रुख अपनाती है। क्या यह विधेयक बहुमत के बल पर पारित होगा, या फिर विपक्ष इसे रोकने में सफल रहेगा? यह तय करेगा आने वाले समय की राजनीति।




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