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भारत में वक्फ बोर्ड का इतिहास और भविष्य: क्या सरकार करेगी बड़ा बदलाव?

भारत में वक्फ बोर्ड की शुरुआत का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है. यह मोहम्मद गौरी के समय से चला आ रहा है और मुगल शासकों ने इसे बढ़ावा दिया. अब मोदी सरकार वक्फ कानून में संशोधन कर सकती है. जानिए वक्फ बोर्ड से जुड़ी पूरी जानकारी.

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By Shraddha Singh | Delhi, Delhi | मनोरंजन - 18 March 2025

xभारत में वक्फ बोर्ड का इतिहास और भविष्य: क्या होगा इसका नया रूप?

संसद के शीतकालीन सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वक्फ बोर्ड कानून पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि इसके लिए भारत में कोई जगह नहीं है. इसके बाद यह कयास लगाए जाने लगे कि सरकार वक्फ संशोधन के लिए कोई विधेयक पेश कर सकती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में वक्फ का इतिहास कितना पुराना है? इसका संबंध मोहम्मद गौरी से कैसे है, और इसे आगे कैसे बदला जा सकता है? आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं.

वक्फ का मतलब और इसकी परिभाषा

इस्लाम में 'वक्फ' को एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक अवधारणा माना जाता है. हालांकि, कुरान में इस शब्द का सीधा उल्लेख नहीं है. 'वक्फ' अरबी शब्द 'वक्फा' से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है "रोकना" या "स्थिर करना". जब कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति परोपकार के लिए समर्पित कर देता है, तो उसे वक्फ कहा जाता है. एक बार वक्फ घोषित की गई संपत्ति उस व्यक्ति की नहीं रहती, बल्कि इसे धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

भारत में वक्फ की शुरुआत और मोहम्मद गौरी का योगदान

भारत में वक्फ की अवधारणा इस्लाम के आगमन जितनी पुरानी मानी जाती है. इसका उल्लेख 12वीं शताब्दी के अंत में मोहम्मद गौरी के शासनकाल में मिलता है. जब मोहम्मद गौरी ने 1192 में पृथ्वीराज चौहान को हराया, तो उसने इस्लामिक संस्थानों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए. माना जाता है कि उसने मुल्तान की जामा मस्जिद के लिए दो गांव दान किए थे, जिनकी आमदनी का उपयोग धार्मिक और सामाजिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था. यह भारत में वक्फ के पहले उदाहरणों में से एक माना जाता है. इन संपत्तियों की देखरेख के लिए "शैखुल इस्लाम" नामक अधिकारी को नियुक्त किया गया था.

दिल्ली सल्तनत और मुगल शासन में वक्फ का विस्तार

मोहम्मद गौरी के बाद दिल्ली सल्तनत के शासकों ने वक्फ को और अधिक बढ़ावा दिया. अलाउद्दीन खिलजी और इल्तुतमिश जैसे शासकों ने मदरसों, मस्जिदों और सूफी दरगाहों के लिए बड़ी मात्रा में भूमि और संपत्ति वक्फ कर दी. इसके बाद, मुगल साम्राज्य के दौरान वक्फ को एक संगठित संस्था का रूप देने की कोशिश की गई. अकबर और औरंगजेब ने इस प्रणाली को मजबूती प्रदान की.

ब्रिटिश काल में वक्फ संपत्तियों पर असर

ब्रिटिश शासन के दौरान वक्फ की संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ा और इसमें हस्तक्षेप किया जाने लगा. इसके कारण कई वक्फ संपत्तियां बर्बाद हो गईं. हालांकि, आजादी के बाद वक्फ संपत्तियों को संरक्षित करने की जरूरत महसूस की गई, जिसके चलते 1954 में वक्फ अधिनियम पारित किया गया.

वर्तमान में वक्फ बोर्ड और उसकी संपत्तियां

सरकार ने वक्फ संपत्तियों की देखरेख के लिए राज्य वक्फ बोर्डों की स्थापना की. 1995 में वक्फ अधिनियम में संशोधन किया गया, जिससे इसे और मजबूत किया गया. सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में वक्फ बोर्ड के अधीन कुल 9.4 लाख एकड़ भूमि और 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जिनकी अनुमानित कीमत लगभग 1.2 लाख करोड़ रुपये बताई जाती है.

क्या सरकार वक्फ कानून में बदलाव कर सकती है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि वक्फ कानून में बड़ा बदलाव किया जा सकता है. संभावना जताई जा रही है कि सरकार वक्फ संपत्तियों की जांच के लिए एक नया कानून ला सकती है, जिससे पारदर्शिता बढ़ाई जा सके. हालांकि, अभी इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है.

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