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चंद्रयान के बाद सक्सेस हुआ आदित्य L1, इसरो ने रचा इतिहास

चांद पर उतरने के बाद भारत ने एक और इतिहास रच दिया है. सूर्य मिशन पर निकले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के आदित्य एल-1 ने अपने गंतव्य लैग्रेंज प्वाइंट-1 पर पहुंचकर एक कीर्तिमान हासिल किया है।

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Image Credit: प्रतीकात्मक तस्वीर
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By Taniya Instafeed | खबरें - 06 January 2024

चांद पर उतरने के बाद भारत ने एक और इतिहास रच दिया है. सूर्य मिशन पर निकले भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के आदित्य एल-1 ने अपने गंतव्य लैग्रेंज प्वाइंट-1 पर पहुंचकर एक कीर्तिमान हासिल किया है। इसके साथ ही आदित्य-एल1 भी अपनी अंतिम कक्षा में स्थापित हो गया। यहां आदित्य दो साल तक सूर्य का अध्ययन करेंगे और महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाएंगे। भारत का यह पहला सूर्य अध्ययन मिशन इसरो द्वारा 2 सितंबर को लॉन्च किया गया था।

वैज्ञानिकों का अथक समर्पण

इसरो की इस सफलता पर पीएम मोदी ने भी खुशी जताई है. उन्होंने ट्वीट कर इसरो की तारीफ करते हुए लिखा कि 'भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की है. भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंच गई है। सबसे जटिल अंतरिक्ष अभियानों में से एक को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का एक प्रमाण। यह असाधारण उपलब्धि सराहना की पात्र है। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।

पिंडों की गुरुत्वाकर्षण शक्तियाँ

एल-1 बिंदु के आसपास के क्षेत्र को हेलो ऑर्बिट के रूप में जाना जाता है, जो सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के पांच स्थानों में से एक है जहां दोनों पिंडों का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव संतुलन में है। मोटे तौर पर, ये वे स्थान हैं जहां दोनों पिंडों की गुरुत्वाकर्षण शक्तियाँ एक दूसरे को संतुलित करती हैं। पृथ्वी और सूर्य के बीच इन पांच स्थानों पर स्थिरता होती है, जिसके कारण यहां मौजूद वस्तु सूर्य या पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में नहीं फंसती है।

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