भगत सिंह वो स्वतंत्रता सेनानी हैं, जिन्हें पाकिस्तान में भी बहुत इज़्ज़त मिलती है

भारत की स्वतंत्रता के इतिहास का जिक्र भगत सिंह के बिना पूरा नहीं किया जा सकता है.सबसे दिल्चस्प बात ये है कि भगत सिंह को पाकिस्तान में भी उतनी इज़्ज़त मिलती है जितना हिन्दुस्तान में. भगत सिंह के बारे में आज हम आपको बेहद दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं.

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भारत की स्वतंत्रता के इतिहास का जिक्र भगत सिंह के बिना पूरा नहीं किया जा सकता है. वही देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ते हुए भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च 1931 को ब्रिटिश शासन ने फांसी पर लटका दिया गया था. यही नहीं कितने  साल बीत चुके हैं लेकिन भगत सिंह अभी भी हमारे दिमाग में जीवित हैं. उनका वे घर आज भी हम सब के जेहन में मौजूद है  जहा पर उनका जन्म हुआ और जहां पर उन्होंने अपना बचपन बिताया.  वही यह घर अब पाकिस्तान में है. सबसे दिल्चस्प बात ये है कि भगत सिंह को पाकिस्तान में भी उतनी इज़्ज़त मिलती है जितना हिन्दुस्तान में. भगत सिंह के बारे में आज हम आपको बेहद दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं.

28 सितंबर1907 को फैसलाबाद जिले की जरांवाला तहसील के बंगा गांव में जन्मे भगत सिंह के पूर्वज महाराजा रणजीत सिंह की सेना में मौजूद थे.

- उनके पिता और चाचा ग़दर पार्टी के सदस्य थे. यह पार्टी ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक क्रांतिकारी आंदोलन चला रही थी.

भगत सिंह के अंदर बचपन से ही ब्रिटिश शासन के खिलाफ गुस्सा था वही उन्होंने भी देश की स्वतंत्रता के लिए क्रांति का रास्ता चुना.

- भगत सिंह हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य बने.चंद्रशेखर आज़ाद, राम प्रसाद बिस्मिल और सुखदेव महान क्रांतिकारी थे.

देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ते हुए भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा फांसी दी गई थी। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था.

भगत सिंह और उनके साथियों ने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को सिर झुकाकर चूमा और इंकलाब-जिंदाबाद का नारा बुलंद किया.

पाकिस्तान में है शहीद भगत सिंह का पुश्तैनी घर

शहीद भगत सिंह का पुश्तैनी घर पाकिस्तान में मौजूद है.  उनका जन्म फैसलाबाद के बंगा गांव में चाक नंबर 105 जीबी में हुआ था. 

- इसे कुछ साल पहले इसे हेरिटेज साइट घोषित किया गया था। वही संरक्षित होने के बाद इसे दो साल पहले जनता के लिए खोला गया था. 

इसके बाद वहां के गवर्नमेंट कॉलेज यूनिवर्सिटी के रिसर्ट स्कॅालर तौहीद चट्ठा ने बताया था कि न केवल भगत सिंह के घर बल्कि उनके पूरे गांव को एक टूरिस्ट प्लेस के रूप में विकसित किया जा रहा है. 

-बंटवारे के बाद भगत सिंह के घर पर एक वकील ने कब्जा कर लिया था जिसके वंशजों ने कई दशकों से भगत सिंह के परिवार से ताल्लुख रखने वाले सामान बचाकर रखे लेकिन अब प्रशासन ने घर और सामान दोनों पर कब्जा कर लिया है. यही नहीं उनके गांव में हर साल शहीदी दिवस पर भगत सिंह मेला भी आयोजित किया जाता है.

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