गंगा में जलस्तर बढ़ने से बाहर आए दफनाए हुए शव, 100 से ज्यादा लाशों का किया गया अंतिम संस्कार

पहाड़ी इलाकों में गुरुवार को फाफामऊ घाट पर रेत में दबे 22 और शवों को गंगा में प्रवाहित होने से पहले ही रोक दिया गया.

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पहाड़ी इलाकों में बारिश के कारण उत्तर प्रदेश की नदियों का जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया है. ऐसे में प्रयागराज के संगम शहर में गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर ने प्रशासन के लिए एक नई चुनौती पेश कर दी है. दरअसल, प्रशासन एक बार फिर रेत में दबे शवों की समस्या से जूझ रहा है. गुरुवार को फाफामऊ घाट पर रेत में दबे 22 और शवों को गंगा में प्रवाहित होने से पहले ही रोक दिया गया. प्रशासन ने देर रात तक लावारिस शवों का इसी घाट पर अंतिम संस्कार कराया. बता दें कि इस घाट पर अब तक 92 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया जा चुका है.

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प्रयागराज नगर निगम के अंचल अधिकारी नीरज कुमार सिंह ने बताया कि कुछ महिलाओं के शव जिनकी नेल पॉलिश अभी तक नहीं निकाली गई है.उनके परिवार वालों की मानसिक पीड़ा क्या रही होगी, यह हमारे लिए नहीं है. 

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आपको बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर में प्रयागराज में गंगा तट पर पूरा कब्रिस्तान नजर आया. हालांकि कुछ हिंदू नाबालिग बच्चों, अविवाहित लड़कियों आदि के शवों को दफनाते रहे हैं, लेकिन गंगा के तट पर ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी गई. ये लाशें बारिश और नदी के कटने से निकली हैं. अब नगर निगम के लोग अपने हाथों से उनका अंतिम संस्कार कर रहे हैं. 

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