शरद यादव की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं बेटी सुभाषिनी

मध्य प्रदेश के होशांगाबाद में जुलाई, 1947 में जन्मे शरद यादव ने जबलपुर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और सियासत में कदम रखा. वह लोहिया और जेपी के समाजवादी विचारों से प्रभावित थे. वह जेपी के पहले शिष्य थे, जो 1974 में ही लोकसभा सांसद बन गए थे, वह जनता दल की सियास

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जनता दल यूनाइटेड के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का गुरुवार को गुरुग्राम के फोर्टिस हॉस्पिटल में निधन हो गया उनकी बेटी शुभाषिनी यादव ने ट्वीट कर इस खबर की जानकारी दी. उन्होंने ट्वीट कर लिखा- पापा नहीं रहे. 

कांग्रेस विरोधी लहर में राजनीति में ऊपर उठे शरद यादव

समाजवाद की प्रखर आवाज और जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने 75 साल की उम्र में अंतिम सांसें ली. वे प्रमुख समाजवादी नेता के तौर पर जाने जाते थे. शरद यादव 70 के दशक में कांग्रेस विरोधी लहर में राजनीति में ऊपर उठे और दशकों तक प्रमुख विपक्षी चेहरे के तौर पर बने रहे. शरद यादव ने जयप्रकाश नारायण से लेकर, चौधरी चरण सिंह, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भी लंबे समय तक राजनीति की. शरद यादव कुल सात बार लोकसभा सांसद चुने गए और तीन बार राज्यसभा सांसद बने.  वे डाक्टर राम मनोहर लोहिया से काफी प्रभावित थे.

राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं बेटी सुभाषिनी

शरद यादव के व्यक्तिगत जीवन की बात की जाए तो उनकी दो संतान हैं. बेटा शांतनु और बेटी सुभाषिनी है. इनमें सुभाषिनी ही राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. सुभाषिनी कांग्रेस पार्टी से जुड़ी हुईं हैं. उन्हें मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में भी देखा गया था.

सुभाषिनी को प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता है

सुभाषिनी ने 2020 में कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की. उन्होंने बिहारीगंज सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गईं. उनके पिता शरद यादव चाहते थे कि मधेपुरा से उनके परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़े और राजनीतिक विरासत को बचाए रखे. सुभाषिनी को राहुल गांधी और प्रिंयका गांधी का करीबी माना जाता है. उनकी शादी हरियाणा में एक राजनीतिक परिवार में हुई है. 

वीपी सिंह से लागू कराई थी मंडल रिपोर्ट  

मध्य प्रदेश के होशांगाबाद में जुलाई, 1947 में जन्मे शरद यादव ने जबलपुर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और सियासत में कदम रखा. वह लोहिया और जेपी के समाजवादी विचारों से प्रभावित थे. वह जेपी के पहले शिष्य थे, जो 1974 में ही लोकसभा सांसद बन गए थे, वह जनता दल की सियासत के चाणक्य कहलाते थे. अगस्त 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मंडल कमीशन को लागू किया था, उसके पीछे भी शरद यादव की भूमिका थी. वीपी सिंह ने मंडल कमीशन को यूं ही लागू नहीं कर दिया था. दावा है कि शरद यादव ने मौके की नजाकत को समझते हुए प्रेशर पॉलिटिक्स के जरिए लागू कराया था.  

dश्रद्धांजलि देने पहुंचे शाह 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और जदयू नेता शरद यादव को श्रद्धांजलि दी.

सीएम खट्टर ने दी श्रद्धांजलि

 हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और जदयू नेता शरद यादव को उनके आवास पर पहुंच कर श्रद्धांजलि दी. 

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