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दो दिन पहले हुई भारी बारिश जगह-जगह पानी इस कदर भर गया है मानों जैसे बाढ़ आ गई हो. वही दो दिन की बारिश ने दिल्ली बेहाल हो गई. एयरपोर्ट से लेकर बस अड्डों तक हर तरफ पानी ही पानी भर गया था. दिल्ली की सड़के तो दरिया बन गई थीं जिसपर राजनीति की नाव तैरने लगी थीं. नाकामी के तौर पर उंगलियां केजरीवाल सरकार पर उठीं तो उन्होंने विरासत में मिली समस्या बता दिया. ऐसे में सवाल ये कि आखिर बारिश में दारिया क्यों बन जाती है दिल्ली की सड़के और इसके लिए आखिर कौन है जिम्मेदार.
IIT दिल्ली की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम 1976 के मास्टर प्लान पर आधारित है. उस समय दिल्ली की जनसंख्या 60 लाख थी. अब दिल्ली की आबादी बढ़कर 2.25 लाख हो गई है. अधिकांश नालियां नीचे से ऊपर की ओर बहती हैं. 183 में से 18 नाले अतिक्रमण के कारण पूरी तरह से गायब हैं. बाकी नालियां ठीक से नहीं बनी हैं या साफ-सफाई के अभाव में पानी नहीं निकलता है. सीवेज और बारिश के पानी की नालियां समान हैं, लेकिन अलग-अलग होनी चाहिए. अब सवाल ये उठता है कि क्या दिल्ली के ड्रेनेज सिस्टम में कोई दिक्कत है या फिर सिस्टम में ही कोई दिक्कत है. जिस पानी को देख सरकारें पानी-पानी हो जाती हैं, दिल्ली के लोग उसमें हर साल क्यों डूबते हैं.




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