किताबें न होने कि वजह से छोड़नी पढ़ी थी पढ़ाई, गरीब बच्चों के लिए खोला मुफ्त बुक बैंक

फ्री बुक बैंक की स्थापना की जिसका मकसद उन बच्चों और लोगो को किताबें दिलाना था. जो किताबें न होने की वजह से पढ़ नहीं पाते है .

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यह यक़ीन करना थोड़ा मुश्किल होता है कि ऐसा कोई बैंक होगा जहां सिर्फ और सिर्फ किताबें हो. जी हां हम बात कर रहे हैं गाजियाबाद के पास बसे एक छोटे से गांव की जहां कुछ सैकड़ो की आबादी वाले उस गांव में सबकुछ वैसा ही था.  जैसी  कि गांव की तस्वीर खींची जाती है. दूर-दूर तक फैले खेत-खलिहानों के बीच पक्के-कच्चे घर. लेकिन मेरठ में एक ऐसा बैंक है. जहां हर और बस  ज्ञान ही ज्ञान है मेरठ में एक  पति पत्नी के प्रयास से शुरू हुए फ्री बुक बैंक का लाभ अब तक हज़ारों बच्चों को मिल चुका है. 

जी हां हम बात कर रहे है मेरठ के प्रेरणा बुक बैंक की इस बैंक में लाखों किताबें हैजिससे गरीबों की ज़िन्दगी में उजाला हो रहा है.  इयह बैंक उन गरीब बच्चों की मदद करता है जो गरीबी के कारण किताबें न खरीद पाते हैऔर  पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं. मेरठ का ये बुक बैंक समाज के लिए मिसाल बन गया है. गरीबी और तंगी किसी बच्चे की शिक्षा में कोई परेशानी न बने ऐसे ध्यान में रखते हुए बुक बैंक की शुरुआत की गयी थी. 

बैंक में कराई जाती है मुफ्त की किताबें उपलब्ध

आपको बता दें की इन बच्चों को बुक बैंक की तरफ से मुफ्त किताबें उपलब्ध कराई जाती है. मेरठ में विजयनगर निवासी  अनीता शर्मा एक गांव की रहने वाली लड़की थी और अपने घर से दो किलोमीटर दूर स्कूल जाया करती थी.किताबें न होने के चलते अनीता पढ़ाई नहीं कर पा रही थी. वह इस बात से दुखी थी अनीता खुद भी अपने बड़े बहन की पुरानी किताबों से पढ़ाई कर रही थी. अनीता की शादी मेरठ के संजय शर्मा से हुयी  जोकि एक कोचिंग सेंटर चलते है.

4 राज्यों में 55 शाखाएं 

अनीता ने जब अपने मन की बात अपने पति को बताई तो दोनों ने मिलकर 2016 में एक फ्री बुक बैंक की स्थापना की जिसका मकसद उन बच्चों और लोगो को किताबें दिलाना था. जो किताबें न होने की वजह से पढ़ नहीं पाते है आज मेरठ के इस बुक बैंक की 4 राज्यों में 55  शाखाएं है और हज़ारों बच्चे इस बुक बैंक से किताब लेकर पढ़ाई कर रहे हैं.

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