तालिबान की वकालत करने वाले पाकिस्‍तान के पीएम इमरान खान को क्‍यों मिला था तालिबान खान का टाइटल

25 सितंबर 2013 में ही इमरान खान ने सलाह दी थी कि तालिबान को पाकिस्तान में कहीं भी अपना ऑफिस बनाने की अनुमति दी जानी चाहिए.

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25 सितंबर 2013 में ही इमरान खान ने सलाह दी थी कि तालिबान को पाकिस्तान में कहीं भी अपना ऑफिस बनाने की अनुमति दी जानी चाहिए. उनका कहना था कि अगर अमेरिका कतर में अफगान तालिबान के लिए ऑफिस खोल सकता है तो पाकिस्तान तालिबान के लिए ऐसा क्यों नहीं कर सकता था.


अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा हो गया है काबुल में अफरातफरी की स्थिति है. इस बीच एक कार्यक्रम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने तालिबान का नाम लिए बिना कहा कि उन्होंने गुलामी की जंजीरें तोड़ी है. बिना तालिबान का नाम लिए इमरान ने अफगानिस्‍तान में तालिबान और उसके फैसले को अपनी मंजूरी दे दी है. इमरान खान ऐसा करेंगे इसकी पूरी उम्‍मीद दी थी क्‍योंकि वो इससे पहले भी कई बार तालिबान का समर्थन कर चुके हैं.


हालांकि इमरान की तरफ से तालिबान से टूटकर बने संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्‍तान (TTP) का समर्थन किया गया था. मगर इसकी वजह से उन्‍हें किसी जमाने में विरोधी तालिबान खान तक कहने लगे थे. साल 2018 में पाकिस्‍तान के वजीर-ए-आजम के तौर पर कमान संभालने वाले इमरान खान ने एक क्रिकेटर के तौर पर अलग छवि बनाई थी लेकिन इमरान के विरोधियों ने उन्‍हें सन् 2013 में तालिबान खान का नाम दे डाला था.


इमरान कई मौकों पर खुलेआम टीटीपी के समर्थन में आवाज उठा चुके हैं. इमरान ने एक बार टीटीपी के कमांडर वली-उर रहमान को शांति समर्थक तक कह डाला था. साल 2013 में अमेरिकी सेनाओं के ड्रोन हमले में वली की मौत हो गई थी. तब खान ने ट्वीट किया, ‘ड्रोन हमले में शांति समर्थक वाली-उर-रहमान को मार डाला और हमले में कई सैनिकों की मौत हुई और कई घायल हो गए यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है. इमरान के इस ट्वीट से हलचल मच गई थी.


25 सितंबर 2013 में ही इमरान खान ने सलाह दी थी तालिबान को पाकिस्तान में कहीं भी अपना ऑफिस बनाने की अनुमति दी जानी चाहिए. उनका कहना था कि अगर अमेरिका कतर में अफगान तालिबान के लिए ऑफिस खोल सकता है, तो पाकिस्तान तालिबान के लिए ऐसा क्यों नहीं कर सकता था इमरान ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्‍यू में कहा था कि अगर टीटीपी पाकिस्‍तान में अपना ऑफिस खोल लेती है तो फिर उनके साथ शांति वार्ता में आसानी रहेगी.


इमरान के इस बयान को विरोधियों ने संविधान और कानून दोनों का ही उल्‍लंघन माना था उनका मानना था कि तालिबान ने कई हजार पाकिस्‍तानियों की जान ली है और लाखों डॉलर्स की संपत्ति को नष्‍ट कर दिया है.


इसके बाद मार्च 2014 में, खैबर पख्तुनख्वां में इमरान की पार्टी पाकिस्‍तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) नेता ने कहा पीटीआई ने हमेशा पेशावर में एक तालिबान कार्यालय के उद्घाटन का समर्थन किया. बाद में पीटीआई शासित केपीके प्रांत में एक और मंत्री ने कहा कि तालिबान को पाकिस्तान में कहीं भी ऑफिस खोलने की मंजूरी मिलनी चाहिए.

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