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महाकुंभ 2025 में आज बसंत पंचमी के अवसर पर तीसरा अमृत स्नान हो रहा है। मौनी अमावस्या के दौरान हुई अव्यवस्था और हादसे से सीख लेते हुए इस बार स्नान को पूरी तरह व्यवस्थित तरीके से संपन्न कराया जा रहा है। ब्रह्म मुहूर्त से ही साधु-संतों और अखाड़ों के स्नान का सिलसिला जारी है। इस बीच, आह्वान अखाड़ा के महामंडलेश्वर करुणानंद गिरि महाराज का एक बड़ा बयान सामने आया है।
"महाकुंभ कम, मोदी-योगी कुंभ ज्यादा लग रहा है"
अमृत स्नान के लिए जाते समय करुणानंद गिरि महाराज ने ABP News से बातचीत में महाकुंभ को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा, "मुझे यह महाकुंभ कम और मोदी-योगी कुंभ ज्यादा लग रहा है। यह पूरे 144 वर्षों का महापर्व है, लेकिन इस बार साधु-संतों की बजाय शासन-प्रशासन की ज्यादा चर्चा हो रही है। प्रशासन ने व्यवस्थाएं जरूर की हैं, लेकिन कुंभ की आध्यात्मिक महिमा कहीं पीछे छूट गई है।"
मौनी अमावस्या हादसे के बाद बेहतर व्यवस्थाएं
करुणानंद गिरि महाराज ने महाकुंभ को लेकर प्रचार-प्रसार और व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए, लेकिन उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि मौनी अमावस्या हादसे के बाद व्यवस्थाएं पहले से बेहतर की गई हैं। इस बार श्रद्धालु संगम में अनुशासन के साथ स्नान कर रहे हैं, जिससे अव्यवस्था की स्थिति नहीं बनी।
भीड़ सामान्य, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
इस बार बसंत पंचमी के स्नान में मकर संक्रांति और मौनी अमावस्या की तुलना में भीड़ कम देखी जा रही है। तीर्थ यात्री संगम नोज तक आसानी से पहुंच रहे हैं और स्नान करके वापस लौट रहे हैं। सुरक्षा को लेकर भी प्रशासन पहले से ज्यादा सतर्क है।
- जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई है।
- एकतरफा यातायात (वन-वे रूट) की व्यवस्था लागू की गई है ताकि धक्का-मुक्की न हो।
- पीपा के पुल खोले गए हैं, जिससे भीड़ नियंत्रित तरीके से आगे बढ़ रही है।
- प्रशासनिक अधिकारी खुद मौके पर मौजूद रहकर व्यवस्थाओं का निरीक्षण कर रहे हैं।
सुबह 4 बजे से जारी अमृत स्नान
बसंत पंचमी के इस शुभ अवसर पर अमृत स्नान सुबह 4 बजे से शुरू हो चुका है। अखाड़ों के साधु-संत श्रद्धा और भक्ति के साथ पवित्र स्नान कर रहे हैं। मौनी अमावस्या के हादसे के बाद प्रशासन ने इस बार कोई कोताही नहीं बरती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्थिति की समीक्षा के लिए आशीष गोयल और भानु गोस्वामी को मेला क्षेत्र में भेजा था, जिसका असर साफ दिखाई दे रहा है। इस बार महाकुंभ में स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है।
महाकुंभ का यह ऐतिहासिक पर्व आध्यात्मिकता, श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है, जहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाने के लिए आ रहे हैं।




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