विरोध के दौरान मारे गए किसानों का कोई रिकॉर्ड नहीं, सहायता का कोई सवाल नहीं: सरकार

संयुक्त किसान मोर्चा, किसान विरोध का नेतृत्व करने वाले निकाय ने 670 से अधिक मौतों का आंकड़ा रखा है.

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कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर के विरोध के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों के लिए विपक्ष लगातार मुआवजे की मांग कर रहा है. इस सवाल के जवाब में कि क्या आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवार को वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रस्ताव है, सरकार ने कहा, “कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के पास इस मामले में कोई रिकॉर्ड नहीं है और इसलिए सवाल ही नहीं उठता है."

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संयुक्त किसान मोर्चा, किसान विरोध का नेतृत्व करने वाले निकाय ने 670 से अधिक मौतों का आंकड़ा रखा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के एक दिन बाद, किसान निकाय ने कहा, “इस आंदोलन में अब तक 670 से अधिक प्रदर्शनकारियों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है. मोदी सरकार ने उच्च मानव लागत को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. शहीद भी संसद सत्र में उन्हें श्रद्धांजलि देने के पात्र हैं, और उनके नाम पर एक स्मारक बनाया गया है.” 

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पिछले मानसून सत्र के दौरान भी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा था कि केंद्र के पास किसानों की मौत का कोई रिकॉर्ड नहीं है. ऐसे में किसी को वित्तीय सहायता यानी मुआवजा देने का सवाल ही नहीं उठता है. 


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