वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में बोले पीएम मोदी- 20वीं शताब्दी में विकसित देश वैश्विक अर्थव्यवस्था के चालक थे

अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि हमने एक और कठिन वर्ष को पीछे छोड़ दिया जो युद्ध, संघर्ष, आतंकवाद और भू-राजनीतिक तनाव, बढ़ती खाद्य उर्वरक और ईंधन की कीमतों को दर्शाता है. अधिकांश वैश्विक चुनौतियां ग्लोबल साउथ द्वारा नहीं बनाई गई हैं.

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 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया.  इस दौरान उन्होंने सदस्य देशों को भाई कहकर संबोधित किया. समिट को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारा उद्देश्य वैश्विक दक्षिण की आवाज को बढ़ाना है. ''मैं आपका स्वागत इस समिट में कर रहा हूं. मैं आपका धन्यवाद करता हूं कि आप दुनिया के विभिन्न जगहों से इसमें हिस्सा ले रहे हैं. भारत ने हमेशा वैश्विक दक्षिण के अपने भाइयों के साथ अपने विकास संबंधी अनुभव को साझा किया है.''

हमने एक कठिन वर्ष  को पीछे छोड़ा है

अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि हमने एक और कठिन वर्ष को पीछे छोड़ दिया जो युद्ध, संघर्ष, आतंकवाद और भू-राजनीतिक तनाव, बढ़ती खाद्य उर्वरक और ईंधन की कीमतों को दर्शाता है. अधिकांश वैश्विक चुनौतियां ग्लोबल साउथ द्वारा नहीं बनाई गई हैं, लेकिन वे हमें अधिक प्रभावित करती हैं. उन्होंने कहा कि  हम वैश्विक दक्षिण का भविष्य में सबसे बड़ा दांव है. हमारे देशों में तीन-चौथाई मानवता रहती है. भारत ने हमेशा अपने विकास के अनुभव को वैश्विक दक्षिण के साथ साझा किया है.  हमारी विकास साझेदारी में सभी भौगोलिक और विविध क्षेत्र शामिल हैं. भारत ने इस वर्ष अपनी G20 अध्यक्षता शुरू की है, ये स्वाभाविक है कि हमारा उद्देश्य वैश्विक दक्षिण की आवाज को बढ़ाना है.

विदेशी शासन के खिलाफ लड़ाई में एक दूसरे का समर्थन किया

पीएम मोदी ने आगे कहा कि, हमने विदेशी शासन के खिलाफ लड़ाई में एक-दूसरे का समर्थन किया और हम इस सदी में फिर से एक नई विश्व व्यवस्था बनाने के लिए ऐसा कर सकते हैं जो हमारे नागरिकों के कल्याण को सुनिश्चित करेगी. आपकी आवाज भारत की आवाज है और आपकी प्राथमिकताएं भारत की प्राथमिकताएं हैं. वैश्विक मुद्दों को हल करने में संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की बड़ी भूमिका है। हमें इनमें सुधार और प्रगति को शामिल करना चाहिए

20वीं शताब्दी में विकसित देश वैश्विक अर्थव्यवस्था के चालक 

पीएम मोदी ने कहा कि , 20वीं शताब्दी में विकसित देश वैश्विक अर्थव्यवस्था के चालक थे और इनमें से अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं आज धीमी हो रही हैं. 21वीं सदी में वैश्विक विकास वैश्विक दक्षिण के देशों से होगा और अगर हम साथ मिलकर काम करें तो हम वैश्विक एजेंडा तय कर सकते. द वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ को अपना स्वर सेट करने की जरूरत है. साथ मिलकर हमें सिस्टम और परिस्थितियों पर निर्भरता के चक्र से बचने की जरूरत है जो हमारे बनाए नहीं हैं


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