RSS के सरकार्यवाह दत्तात्रेय का बड़ा बयान, कहा- देश में भगवान के साथ-साथ रोटी....!

दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, 'देश में हमने अस्मिता और संस्कृति की रक्षा की. (भगवान राम का) एक मंदिर अयोध्या में बने, यह पूरे देश के लोगों के मन की इच्छा और आकांक्षा थी. वह केवल एक राम मंदिर की. मंदिर तो हर एक गली में अपने देश में हैं. वह क्यों था?

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भगवान राम के साथ-साथ रोटी भी चाहिए, जिसका मतलब कारोबार धन और रोजगार से है क्योंकि दोनों मिलकर भारत की सभ्यता हैं. उन्होंने यह भी कहा कि पूरा देश के लोग चाहते है कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बने. देश की अस्मिता के साथ और संस्कृति के साथ जुड़ी हुई भावना थी. 

हमने अस्मिता और संस्कृति की रक्षा की: दत्तात्रेय

दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, 'देश में हमने अस्मिता और संस्कृति की रक्षा की. (भगवान राम का) एक मंदिर अयोध्या में बने, यह पूरे देश के लोगों के मन की इच्छा और आकांक्षा थी. वह केवल एक राम मंदिर की. मंदिर तो हर एक गली में अपने देश में हैं. वह क्यों था? देश की अस्मिता के साथ और संस्कृति के साथ जुड़ी हुई भावना थी. इसलिए एक भावना उजागर हुई.'उन्होंने आगे कहा, 'राम है तो रोटी भी चाहिए. राम और रोटी दोनों ही मिलकर भारत की सभ्यता हैं. इसलिए रोटी का मतलब उद्योग है, धन है, लोगों का रोजगार और स्वावलंबी जीवन है.' 

कारोबारियों पर निशाना साधा

होसबाले ने भारतीय बैंकों को करोड़ों रुपये का चूना लगाने वाले और देश छोड़कर भागने वाले कारोबारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि अधिकारियों ने उन्हें पकड़ने के लिए बहुत कम काम किया है. उन्होंने कहा, 'कई लोगों ने करोड़ों रुपये का भारी नुकसान पहुंचाया है. आप उन्हें पकड़ने के लिए कुछ नहीं कर रहे हैं. हम सब कुछ जानते हैं. 

कुछ लोगों (कारोबारियों) ने बैंकों के साथ क्या किया है... क्या हमने उन्हें जेल भेजा है? कुछ भी नहीं किया गया है. एक युवा द्वारा 10 लाख रुपये (का लोन) नहीं चुकाने के बारे में अधिक चिंता है.' रोजगार पैदा करने के लिए एक सिस्टम बनाने पर जोर देते हुए होसबाले ने कहा कि उनकी यात्राओं के दौरान उन्हें ऐसे युवा मिले हैं जो निराशा महसूस करते हैं.

सरकार की नीति अच्छी मगर सहायता नहीं मिलती 

होसबाले ने इसी कड़ी में आगे कहा कि युवा कहते हैं कि सरकार की नीति अच्छी है, लेकिन जब वे (अधिकारियों) से संपर्क करते हैं तो उन्हें (वित्तीय) सहायता नहीं मिलती है. इससे युवा निराश हो जाते हैं. क्या यह अच्छी व्यवस्था है?' 

उन्होंने कहा, 'जब कोई उत्साही युवा कुछ हासिल करना चाहता है, तो उसे प्रोत्साहन मिलना चाहिए. मेरा मतलब यह नहीं है कि आप उन पर भरोसा करते हुए उन्हें करोड़ों रुपये का कर्ज दे दें.' होसबाले ने कहा कि बेरोजगार युवाओं को सही परामर्श दिया जाना चाहिए और लोगों को उन युवाओं का समर्थन करना चाहिए जो जीवन में कुछ करना चाहते हैं.


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