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इस दिन पड़ेगा सूर्य ग्रहण, जानिए कैसे और किस तरह हुई इसकी शुरुआत?

अबकि बार सूर्य ग्रहण 2 अक्तूबर को है, यानी अमावस्या का दिन। इसका असर भारत में देखने को नहीं मिलने वाला है। इस कारण देश में ग्रहण का सूतक नहीं रहेगा। इसकी शुरुआत 9:13 मिनट से होगी और रात को 3: 17 मिनट पर ये खत्म होगा।

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Image Credit: सूर्य ग्रहण
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By Tarun Yadav | Delhi, Delhi | खबरें - 28 September 2024

अबकि बार सूर्य ग्रहण 2 अक्तूबर को है, यानी अमावस्या का दिन। इसका असर भारत में देखने को नहीं मिलने वाला है। इस कारण देश में ग्रहण का सूतक नहीं रहेगा। इसकी शुरुआत 9:13 मिनट से होगी और रात को 3: 17 मिनट पर ये खत्म होगा। इस ग्रहण का असर अर्जेंटिना, अमेरिका, ब्राजिल, मेक्सिको, न्यूजीलेंड, पेरू, सहित कई देशों में दिखाई देगा। ऐसे में आइए जानते हैं कि धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य और चंद्र ग्रहण राहु-केतू की वजह से कैसे लगना शुरु हुआ।

दरअसल समुद्र मंथन से जुड़ी एक कथा है। पुराने वक्त में देवताओं का सुख-ऐश्वर्य खत्म हो गया था। उस वक्त देवता भगवान विष्णु के पास पहुंचे थे, ताकि स्वर्ग का खोया हुआ सुख-ऐश्वर्या वापस आ सकें। ऐसे में भगवान विष्णु ने सभी को सलाह दी थी कि वो असुरों के साथ मिलकर समुद्र मंथन करना चाहिए। इस मंथन से कई दिव्य रत्न निकलेंगे और अंत अमृत निकलेगा, जिसे पीकर सभी देवता अमर हो जाएंगे। उस वक्त समुद्र मंथन में 14 रत्न निकले थे। उसके साथ ही अमृत भी निकला था। इसे पाने के लिए दोनों में युद्ध हो गया। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया औऱ देवताओं को अमृतपान करवाने लगे।  उस वक्त जब देवता अमृत पी रहे थे। तभी राहु नाम का असुर देवताओं का वेश धारण करके वहां पहुंच गया था। वो धोखे के साथ उसे पाने लगे थे। 

गुस्सा हो उठे थे भगवान विष्णु

चंद्र और सूर्य ने देवताओं के बीच बैठे राहु को पहचान लिया था। चंद्र-सूर्य ने भगवान विष्णु को इसकी जानकारी दे दी। विष्णु जी ने क्रोधित होकर राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया, क्योंकि राहु ने भी अमृत पी लिया था, इस कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई। राहु का सिर धड़ से अलग हो गया। उसका सिर राहु और धड़ केतु बन गया। चंद्र और सूर्य ने राहु का भेद खोल दिया था, इसलिए राहु चंद्र-सूर्य को अपना शत्रु मानता है और समय-समय पर इन दोनों ग्रहों को ग्रसता है। शास्त्रों में इसी घटना को सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण कहा जाता है।


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