सीएम बनते ही एक्शन में सुखविंदर सिंह सुक्खू, ओल्ड पेंशन स्कीम के लिए कर दिया बड़ा ऐलान

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का वादा किया था. राज्य में 2.5 लाख सरकारी कर्मचारी हैं. जिनमें से करीब 1.5 लाख नई पेंशन योजना में आते हैं.

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हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्यमंत्री बनते ही एक्शन में हैं. सुक्खू ने  कहा कि पहली कैबिनेट की बैठक में पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जाएगा. समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा कि, हमने चुनाव में हमने जनता से 10 वादा किया था. हम अपना वादा पूरा करेंगे. हम पारदर्शी और ईमानदारी से सरकार से चलाएंगे. पहली कैबिनेट बैठक में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को लागू किया जाएगा. 

हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का वादा किया था. राज्य में 2.5 लाख सरकारी कर्मचारी हैं. जिनमें से करीब 1.5 लाख नई पेंशन योजना में आते हैं. 1 अप्रैल 2004 से देश में पुरानी पेंशन स्कीम बंद कर दी गई थी, जिसमें सरकार पेंशन का पूरा पैसा देती है.  

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रेस कॉफ्रेंस में कहा था कि,  पुरानी पेंशन योजना हिमाचल में कांग्रेस की सफलता में बेहद अहम रही. यह समाज के लिए जरूरी मुद्दा बताया. उन्होंने कहा था, हर शख्स को जीने का अधिकार है. ओपीएस में लोगों को पर्याप्त पेंशन मिलती है. मैं केन्द्र सरकार से गुजारिश करता हूं कि पूरे देश में ऐसी स्कीम लागू करें. 

जानिए कौन हैं सुखविंदर सिंह सुक्खू

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू  का जन्म 27 मार्च, 1964 को हमीरपुर जिले की नादौन तहसील के भवरान गांव में हुआ था. उन्होंने 17 साल की उम्र में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी से एमए, एलएलबी किया है. सुक्खू 1981-82 और 1982-83 तक संजौली, शिमला में सरकारी डिग्री कॉलेज के कक्षा प्रतिनिधि चुने गए थे. सुक्खू दिवंगत रसील सिंह के बेटे हैं और उनकी पत्नी का नाम कमलेश ठाकुर है. उनकी दो बेटियां हैं.

सुक्खू 1995 से 1998 तक प्रदेश युवा कांग्रेस के महा सचिव और 1998 से 2008 तक प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे. सुक्खू 2003 में राज्य विधानसभा (विधायक) के लिए चुने गए, दिसंबर 2007 में फिर से चुने गए और 2007 से 2012 तक कांग्रेस विधानमंडल दल के मुख्य सचेतक के रूप में बने रहे. उन्हें दिसंबर 2017 में 13वीं विधानसभा के लिए फिर से चुना गया. सुखविंदर सिंह सुक्खू का अपने पूरे राजनीतिक जीवन में पार्टी के सबसे बड़े नेता रहे वीरभद्र सिंह के साथ 36 का आंकड़ा रहा.

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