आजकल बीमार होना भी बहुत महंगा है. शारीरिक परेशानियां अलग हैं, लेकिन छोटी सी बीमारी पर भी हजारों खर्च कर दिए जाते हैं.
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आजकल बीमार होना भी बहुत महंगा है. शारीरिक परेशानियां अलग हैं, लेकिन छोटी सी बीमारी पर भी हजारों खर्च कर दिए जाते हैं. इसलिए आजकल ज्यादातर लोग मेडिकल इंश्योरेंस जरूर लेते हैं. मौसमी बीमारियों से लेकर बड़ी बीमारियों तक, डॉक्टरों की फीस, अस्पताल का खर्चा आसान नहीं हुआ है. इसलिए कहा जाता है कि समय को असामयिक के लिए बचाना चाहिए. लेकिन क्या हो अगर दवा की कीमत 28 करोड़ हो.
दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी
अमेरिका में, फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने हेमजेनिक्स नामक दवा को मंजूरी दी है, जिसकी कीमत 3.5 मिलियन डॉलर प्रति खुराक है. भारतीय मुद्रा में इसकी कीमत करीब 28.58 करोड़ रुपए है. यह दुनिया की सबसे महंगी दवा है और इसका इस्तेमाल एक दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी को ठीक करने के लिए किया जाता है. यह बीमारी है हीमोफिलिया बी, जिसमें इंसान का खून कम जमने लगता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कीमत बीमारी के प्रकार और उसकी दवा विकसित करने में लगी मेहनत और तकनीक के हिसाब से वाजिब है.
हीमोफिलिया बी का खतरा
दुनिया की सबसे महंगी दवा अब बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध है. पुरुषों में हीमोफिलिया बी का खतरा ज्यादा होता है. दुनिया में इसके कितने मरीज हैं, इसका सटीक अंदाजा नहीं है, लेकिन अमेरिका में करीब आठ हजार पुरुष इस बीमारी से परेशान हैं. इस बीमारी से पीड़ित मरीज अपनी जिंदगी में इलाज पर 171 से 187 करोड़ रुपए खर्च कर देता है. अगर वह ऐसा नहीं कर पाता है तो सरकार खर्च करती है, अमेरिका में यही व्यवस्था है.
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