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सर्दी का मौसम अब शुरू हो चुका है, ठंड के साथ ही एक बार फिर दिल्ली वायु प्रदूषण की गिरफ्त में आने लगी है. लोग इस प्रदूषण के लिए तमाम कारकों को जिम्मेदार मानते हैं. पराली से लेकर इंडस्ट्री तक को भी इस प्रदूषण के लिए जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन क्या अप जानते हैं कि दिल्ली की हवा में सबसे ज्यादा जहर किस वजह से घुलता है, क्या हम और आप इसमें कुछ कर सकते हैं.

ग्रीन थिंक-टैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के एक विश्लेषण के अनुसार, यह आकलन 24 अक्टूबर से 8 नवंबर तक है. इस साल सर्दियों की शुरुआत में दिल्ली के प्रदूषण में वाहनों का योगदान 50 फीसदी से ज्यादा है. गुरुवार को जारी सीएसई अध्ययन पुणे में भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए निर्णय समर्थन प्रणाली से स्रोत योगदान पर वास्तविक समय के आंकड़ों पर आधारित है.

स्टडी के मुताबिक इस 2-6 नवंबर के दौरान एनसीआर में प्रदूषण के स्रोतों का योगदान दिल्ली में शुरुआती दौर में 70-80 फीसदी तक रहा. दिवाली के बाद बढ़ते कोहरे के दौरान इस शेयर में गिरावट आई क्योंकि दिल्ली के अपने स्रोतों से सापेक्ष योगदान भी बढ़ गया. इसी तरह, अन्य राज्यों से बायोमास पराली जलाने के कारण प्रदूषण का योगदान दिवाली से पहले के प्रारंभिक चरण में कम रहा, लेकिन दिवाली के बाद चरम पर रहा.

दिन के दौरान, यह देखा गया है कि दिल्ली के अपने स्रोतों से समग्र योगदान आम तौर पर शाम के घंटों के दौरान बढ़ जाता है और सुबह के समय (सुबह 7:30 से 9:30 बजे) तक रहता है. स्पष्ट रूप से, कोयले से चलने वाले सभी बिजली संयंत्रों के बंद होने, उद्योग में प्राकृतिक गैस के उपयोग के विस्तार और गंदे ईंधन में कमी के बाद, इस साल दिल्ली में सर्दियों के प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों में वाहन सबसे बड़े वास्तविक योगदानकर्ता के रूप में उभरे हैं.




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