ज्ञानवापी मामले में नहीं होगी 'शिवलिंग' की कार्बन डेटिंग, कोर्ट ने खारिज की अपील

वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद मामले में जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.

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वाराणसी ज्ञानवापी मस्जिद में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन की डेटिंग अब नहीं होगी. जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले को हिंदू पक्ष के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि 14 अक्टूबर को अगली सुनवाई की जाएगी. कोर्ट ने दलिल सुनने के बाद फैसला को सुरक्षित रख लिया है. बता दें कि बीते 22 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने समेत अन्य ने कोर्ट में शिवलिंग की आकृति की एएसआई विशेषज्ञ से कार्बन डेटिंग कराने का अनुरोध किया था.

क्या है ज्ञानवापी विवाद 

दरअसल हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद से पहले उसी जगह मंदिर था. मुगल शासक औरंगजेब ने साल 1699 में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाई थी. दावा है कि मंदिर में भगवान विश्वेश्वर के स्वयंभू ज्योतिर्लिंग विराजमान थे. यह भी कहा जाता है कि मस्जिद में मंदिर के अवशेषों का इस्तेमाल भी किया गया था.

क्या होती है कार्नडेटिंग

आपको बता दें कि कार्बन डेटिंग से पुरातात्विक खोज, चमड़े,लकड़ी, चारकोल,  बाल और खून के अवशेष के उम्र का पता लगाया जा सकता है. कार्बन डेटिंग से एक अनुमानित उम्र का ही पता चल पाता है. सटीक उम्र का पता लगाना मुश्किल होता है. पत्थर और धातु की डेटिंग नहीं की जा सकती है. अगर पत्थर में किसी प्रकार का कार्बनिक पदार्थ मिलता है तो उससे एक अनुमानित उम्र का पता किया जा सकता है. 

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