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बाबा बैद्यनाथ धाम में पूरी होगी कामना, बड़ी संख्या में आते है भक्त

आपको बता दे कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान न्याय यात्रा झारखंड के देवघर पहुंची इसके बाद राहुल गांधी यहां पर बाबा बैद्यनाथ मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे थे।

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Image Credit: प्रतीकात्मक तस्वीर
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By Taniya Instafeed | खबरें - 05 February 2024

आपको बता दे कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान न्याय यात्रा झारखंड के देवघर पहुंची है इसके बाद राहुल गांधी यहां पर बाबा बैद्यनाथ मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे थे। इतना ही नहीं भगवान शिव के नवे ज्योतिर्लिंग के रूप में किसे माना जाता है इस मंदिर में शिव और शक्ति एक साथ विराजमान होते हैं। दरअसल इस मंदिर की अपनी मान्यता है यहां पर लोगों की मनोकामनाएं जरूर पूरी होती हैं।

शिवलिंग को कहते हैं कामना लिंग

इस मंदिर में 12 ज्योतिर्लिंग है जिसमें से एक पवित्र बैद्यनाथ शिवलिंग झारखंड के देवघर में स्थित है इसके अलावा इस जगह को लोग बाबा बैद्यनाथ धाम के नाम से भी जानते हैं। यह भी कहा जाता है कि भोलेनाथ यहां पर आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं जरूर पूरी करते हैं इसलिए भोलेनाथ के शिवलिंग को कामना लिंग भी कहते हैं क्योंकि यहां पर हर एक भक्त की मुराद जरूर पूरी होती है। इतना ही नहीं बैद्यनाथ धाम शक्तिपीठ को लेकर भी फेमस है क्योंकि यहां माता का हृदय गिरा था यही कारण है कि इस स्थान को हार्दिक पीठ के नाम से भी जाना जाता है।

हिमालय पर घोर तपस्या की

पौराणिक कथाओं के अनुसार लंकापति रावण भगवान शिव की पूजा करता था। एक बार रावण ने हिमालय पर घोर तपस्या की। इस दौरान उसने अपने 9 सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ा दिए, जब 10वें सिर की बारी आई तो स्वयं महादेव प्रकट हो गए। रावण की भक्ति देखकर शिव ने उससे वरदान मांगने को कहा। रावण चाहता था कि भगवान शिव उसके साथ लंका में रहें, इसलिए उसने वरदान के रूप में कामना लिंग माँगा।

भगवान शिव ने रखी शर्त

आपको बता दें कि भगवान शिव ने रावण की इच्छा तो पूरी की लेकिन उन्होंने रावण के सामने एक शर्त भी रखी थी महादेव ने रावण से यह कहा था कि अगर तुमने शिवलिंग को कहीं रास्ते में रख दिया तो मेरा शिवलिंग वहीं पर स्थापित हो जाएगा इसके बाद तुम दोबारा नहीं उठा पाओगे लेकिन यह शर्त रावण ने मान ली और उसने रास्ते में गलती से शिवलिंग नीचे रख दिया। इतना ही नहीं इसके बाद रावण ने इस कामना लिंग को उठाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह हार गया। बाद में रावण को भगवान शिव की लीला समझ में आई। कहा जाता है कि इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवताओं ने आकर उस शिवलिंग की पूजा की, तब से महादेव कामना लिंग के रूप में देवघर में विराजमान हैं।

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