भारत की नदियों को बचाने के लिए पीएम मोदी ने दिया ये ख़ास मंत्र

भारत की इन नदियों के हुए बुरे हाल, जानिए आने वाले वक्त कैसे बदतर हो जाएगी लोगों की जिंदगी।

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‘जल ही जीवन है’, ये बात तो आप सभी ने सुनी ही होगी. कई बार बॉलीवुड ही नहीं कई बड़े-बड़े राजनेता और अपने घरो में रहने वाले बुजुर्ग भी आपको ये बात समझा चुके होंगे. वैसे यदि हम आपसे ये कहे की आपको एक दिन पूरा प्यासा रहना होगा तो आप नहीं रह पाओगे. यदि आपसे दूसरे दिन भी प्यासा रहने के लिए कहा जाए तो आपका जवाब ना ही होगा. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बिना दो दिन पानी पीये आपका हाल बुरा हो सकता है तो जब दुनिया की सारी नदियां सूख जाएंगी तब क्या होगा? 

नदिंयों को भारत की संस्कृति और सभ्यता के खास हिस्सों के तौर पर देखा जाता है. हमारे देश में नदियां माता की तरह होती है. लेकिन आपकी हमारी कई एक्टिविटी का असर नदियां पर गहरा पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है. एक तरफ जहां सारी नदियां सूखती जा रही है वही, दूसरी ओर आबादी में बढ़त हो रही है. ऐसे में बढ़ते लोगों की पानी पर निर्भरता खतरे की घंटी की तरह साबित हो रही है. जहां 4500 छोटी हो या फिर बड़ी नदियां सूख चुकी है. वही,  गंगा, यमुना, सिंधु, ब्रह्मपुत्र, सरयू, कावेरी आदि नदियों में भी पानी का स्तर कम होता है जा रहा है.

भारत में इस वक्त वाटर स्ट्रेस्ड की स्थिति बनी हुई है। जोकि धीरे-धीरे वाटर स्कारसिटी की ओर बढ़ रहा है. यानी बढ़ती आबादी और कम होते पानी की वजह से भारत में पानी की मांग और आपूर्ति के बीच गैप काफी बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते भारत वाटर स्ट्रेस्ड से वाटर स्कारसिटी की ओर से बढ़ रहा है. लेकिन भारत के ज्यादातर लोग पानी की जरूरतों के लिए भूजल पर निर्भर है, लेकिन उसे मेंटेन करने के लिए नदियों, झीलों और तालाबों में पानी का होना जरूरी है. क्योंकि भारत की नदियों में पानी सूखता चला जा रहा है.

क्या कहते हैं आंकड़े (2020 के मुताबिक)

नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इस वक्त 60 करोड़ लोगों के पास पर्याप्त नहीं है. ये सभी आंकड़े इंडिया वाटर पोर्टल (2020) में छपी एक खबर के मुताबिक सामने आए हैं. केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों की माने तो 1984-85 और 2014-2015 सिंधु नदी, ब्रह्मपुत्र, कावेरी, गंगा के अलावा देश की तमाम नदियों में पानी की मात्रा में कमी देखने को मिली है. इसके अलावा 1984-85 और 2014-15 सिंधु नदी में पानी की मात्रा में 27.78 बिलियन क्यूबिक मीटर की कमी देखने को मिली है. आपको ये जानकार हैरानी होगी कि सिंधु नदी में जितना पानी कम हुआ है उतना पानी तो कावेरी नदी में है. वही, ब्रह्मपुत्र के पानी में 95.56 बीसीएम और गंगा में 15.5 बीसीएम की कमी देखने को मिली है. पानी भले ही नदियों में कम हो चुका है लेकिन प्रति व्यक्ति की पानी की जरूरत कम नहीं हुई है. साथ ही जलग्रहण क्षेत्र में भी कमी देखने को मिली है. केंद्री जल आयोग के 2017 के आकंड़ों की बात करें तो 2004-2005 और 2014-2015 के बीच सिंध के जलग्रहण क्षेत्र 1 प्रतिशत, गंगा में 2.7 प्रतिशत और ब्रह्मपुत्र के आकंड़े में 0.6 प्रतिशत की कमी आई है.

पानी को बचाने के लिए पीएम मोदी का मंत्र

पीएम नरेंद्र मोदी ने विश्व जल दिवस पर जल शक्ति अभियान कैद द रन की शुरुआत की है और कहा कि भारत की आत्म-निर्भरता जल संसाधनों और जल संपर्क पर आधारित है. जल के प्रभावी संरक्षण के बिना भारत का तेजी से विकास नहीं हो पाएगा. इसके अलावा पानी को बचाने के लिए पीएम मोदी ने मंत्र दिया- जहां भी गिरे और जब भी गिरे, वर्षा का पानी इकट्ठा करें.

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