नवरात्रि के पहले दिन ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानें पूजा विधि, मां शैलपुत्री का स्वरूप

7 अक्टूबर, गुरुवार यानि की कल से नवरात्रि पर्व की शुरुआत हो रही है. नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है.

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7 अक्टूबर, गुरुवार यानि की कल से नवरात्रि पर्व की शुरुआत हो रही है. नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता है. ये मां दुर्गा का प्रथम स्वरूप है. ये राजा हिमालय (शैल) की पुत्री हैं इसी कारण ये शैलपुत्री कहलाती हैं. ये वृषभ (बैल) पर विराजती हैं. ये दाहिने हाथ में त्रिशूल तो बाएं हाथ में कमल धारण करती हैं. प्रथम दिन इनके पूजन से ही भक्त के नौ दिन की यात्रा आरंभ होती है. मां शैलपुत्री को सफ़ेद रंग पसंद है, इसलिए भक्तों को सफ़ेद रंग के कपड़े पहनकर मां की आराधना करनी चाहिए.


पूजा की विधि

माता शैलपुत्री का जन्म शैल या पत्थर से हुआ था, इसलिए मान्यता है कि नवरात्रि के दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन में स्थिरता आती है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के बाद माता की पूजा की जाती है और व्रत का संकल्प लेते हैं. इसके बाद मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. माता को लाल सिंदूर, अक्षत, धूप आदि चढ़ाएं. इसके बाद माता के मंत्रों का उच्चारण किया जाता है. दुर्गा चालीसा का पाठ करें और इसके बाद घी का दीपक और कपूर जलाकर आरती करें. जीवन में आ रही परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए एक पान के पत्ते पर लौंग, सुपारी और मिश्री रखकर अर्पित करने से परेशानियों से निजात मिलती है. 



इन्हें सौभग्य और शांति की देवी माना जाता है. ऐसा कहा जाता है कि नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने से हर तरह के सुख और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं, मां शैलपुत्री हर तरह के डर और भय को भी दूर करती हैं. कहते हैं मां शैलपुत्री की कृपा से व्यक्ति को यश, कीर्ति और धन की प्राप्ति होती है.


मंत्र का करें जाप

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

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