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कैसे हुए भारतीय क्रिकेट टीम की गेंदबाजी में बदलाव? उसका क्या पड़ा प्रभाव जानें यहां

इशांत, बुमराह और शमी सभी ने 2018 के बाद से हर टेस्ट मैच में 50 से ज़्यादा विकेट लिए। इसके बाद टीम को सफलता मिलने का दौर शुरू हो गया।

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By Anshita Shrivastav | खेल - 23 November 2020

टेस्ट मैच में जीतने के लिए 20 विकेट की ज़रूरत है। अगर बल्लेबाज अच्छे रन बना भी रहे हैं, तो गेंदबाजों को उनको आउट करने की बहुत ज़्यादा जरूरत होगी। ये शब्द हैं कप्तान विराट कोहली के जो उन्होंने हाल ही में हुए एक टेस्ट मैच के टॉस में कहे थे।

विराट द्वारा दिया गया यह सुझाव कोई नया नहीं है।अब अगर भारतीय कप्तान ये शब्द कह सकता है और किसी दूसरी जगह विपक्षी टीम के 20 विकेट लेने के लिए कॉन्फ़िडेंट हो सकता है, तो फिर पिछले कुछ सालों में भारत के बेहतरीन गेंदबाज के बारे में बहुत कुछ कह सकता है।

चाहे वह चेतन शर्मा हो या फिर जवागल श्रीनाथ, अजीत और जहीर खान का समय क्यों न हो, भारत में हमेशा ही रैंकों में क्वालिटी पेस-बॉलिंग के लिए शस्त्रागार रहा है। लाइन, लंबाई और सटीकता के साथ बेहतरीन गेंदबाजी करने वाले गेंदबाज़ को उनके प्रदर्शन ख़ास प्रोत्साहन नहीं मिलता है।


स्पिन पर निर्भरता

लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारत में में तेज गेंदबाज़ी हि नहीं बल्कि गेंदबाज़ की भी कमी थी। हालांकि अब चीज़ों में बदलाव हुआ। जब 2014 में इंग्लैंड श्रृंखला इंग्लैंड में स्थानांतरित कर दिया। जहां भारत 3-1 से हार का सामना करना पड़ा। भारत ने लॉर्ड्स में एक टेस्ट मैच जीता था, वह बल्लेबाज़ ईशांत शर्मा की गेंदबाजी के दम पर जीता गया था, मैच 7-74 के साथ ख़त्म हुआ।

एमएस धोनी के मुताबिक़ भारत को जीत दिलाने में ओझा, रविंद्र जडेजा, रविचंद्रन अश्विन इन लोगों का हाथ था।  हालांकि, भारत के पास वो भरोसेमंद गेंदबाज नहीं थे, जो दूसरे देशों में भेजे जा सकते थे। 


शिफ्ट

2014-15 की ऑस्ट्रेलिया सीरीज़ के समय जब टेस्ट टीम की बागडौर विराट कोहली के हाथों में सौंप दी गयी थी। ऐसे में सबसे पहली चीज़ ये थी कि विराट बदलाव करना चाहते थे।ऐसा करने के लिए टीम को तेज गति के गेंदबाजी आक्रमण की जरूरत है, जो विकेट ले सके। विराट के इस बदलाव के बाद भारत ने कभो पीछे मुड़ के नहीं देखा नहीं देखा। इस विचार ने भारत के प्रदर्शन में एक नया बदलाव ला दिया। 


पेस-हमले का उद्भव

इस बदलाव का एक उदाहरण 2018  में देखा गया था जहां वे  मात्र 12 महीने के अंतर में इंग्लैंड, दक्षिण अफ़्रीका और ऑस्ट्रेलिया खेल रहे थे, ये सभी जगह दूर थी। भारत ने दक्षिण अफ्रीका से 2-1 से हार का सामना किया। भारत ने तीन मैचों की श्रृंखला में सभी 60 दक्षिण अफ्रीकी विकेट लिए, जिसमें से 50 अकेले पेसर्स ने लिए। इतना ही नहीं, भारत ने जोहान्सबर्ग में आख़िरी मैच में जीत हासिल थी और उस  श्रृंखला का ये एकमात्र मैच था जो उन्होंने जीता था।

भले ही,  इंग्लैंड में भारत 4-1 से हार गया था। इसके बाद भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 2-1 से हरा दिया था। जसप्रीत बुमराह, इशांत शर्मा, और मोहम्मद शमी की तिकड़ी ने एक बार फिर कमाल दिखाया था।


'वी हंट इन पेयर'

इशांत, बुमराह और शमी सभी ने 2018 के बाद से हर टेस्ट मैच में 50 से ज़्यादा विकेट लिए। इसके बाद टीम को सफलता मिलने का दौर शुरू हो गया।


ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट

भारत के लिए अपनी 2018 की सफलता को दोहराना मुश्किल होगा। क्क्रिकेट विशेषज्ञो का मानना ​​है कि भारत के पास ऑस्ट्रेलिया की टीम के खिलाफ बेटसमैन के कारण नहीं बल्कि भारत के गेंदबाजों के कारण मुमकिन हो सकेगा है।

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