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आईपीएल 2025 का रोमांच अपने चरम पर है, लेकिन 3 मई को खेले गए रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु बनाम चेन्नई सुपर किंग्स के मुकाबले में सिर्फ क्रिकेट ही नहीं, बल्कि एक अप्रिय घटना ने भी सुर्खियां बटोरीं। बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले गए इस हाई-वोल्टेज मुकाबले में एक वीआईपी डायमंड बॉक्स में मौजूद दो वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों – एक IPS और एक आयकर विभाग (IT) के अधिकारी – के परिवारों के बीच तीखी बहस और झगड़ा हो गया, जो बाद में पुलिस स्टेशन तक पहुंच गया।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, विवाद एक साधारण सी बात पर शुरू हुआ – "कौन किस सीट पर बैठेगा?" आईपीएस अधिकारी की बेटी ने वॉशरूम जाते समय अपनी सीट पर पर्स छोड़ दिया था ताकि उसकी मौजूदगी दर्ज रहे। लेकिन उसी दौरान एक व्यक्ति वहां आकर बैठ गया। लड़की के भाई ने उसे हटने को कहा, लेकिन बात बढ़ गई। जल्द ही दोनों परिवारों के सदस्य जुड़ गए और मामला गरमाता चला गया।
मामला बढ़ा – पुलिस थाने तक पहुंचा
IPS अधिकारी की बेटी और बेटा अपने माता-पिता को बुलाने लगे। जल्द ही आईपीएस अधिकारी और उनकी पत्नी मौके पर पहुंचे और अपने बच्चों को सुरक्षित बाहर निकालकर कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन पहुंचे। वहां शिकायत दर्ज कराई गई जिसमें गंभीर आरोप लगाए गए – धमकी, यौन उत्पीड़न और महिला की गरिमा का हनन।
शिकायत के अनुसार, न केवल गाली-गलौज हुई, बल्कि लड़की ने यह भी आरोप लगाया कि उस व्यक्ति ने उसके साथ अवांछित शारीरिक संपर्क बनाया। उसने बताया कि डायमंड बॉक्स जैसे हाई-प्रोफाइल क्षेत्र में भी उस समय कोई पुलिसकर्मी मौजूद नहीं था।
क्या कहती है पुलिस?
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस पूरे प्रकरण को ‘बेहद शर्मनाक’ बताया और कहा कि “कॉम्प्लिमेंट्री हॉस्पिटैलिटी बॉक्स में यह सब तब हुआ जब वहां कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे, लेकिन किसी ने हस्तक्षेप नहीं किया।” पुलिस ने इस मामले में बीएनएस की धारा 351 (आपराधिक धमकी), 352 (जानबूझकर अपमान), 75 (यौन उत्पीड़न) और 79 (महिला की गरिमा का अपमान) के तहत एफआईआर दर्ज कर ली है।
क्या यह प्रशासनिक विफलता है?
यह मामला इस ओर भी इशारा करता है कि वीआईपी बॉक्स जैसे हाई-सिक्योरिटी क्षेत्रों में भी समुचित प्रबंधन और सुरक्षा के अभाव से किस तरह कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो सकते हैं। यह चिंता की बात है कि जब वरिष्ठ अधिकारी खुद असुरक्षित महसूस करें और किसी की सहायता न मिले, तो आम लोगों की स्थिति क्या होगी?
अब आगे क्या?
फिलहाल पुलिस ने दोनों पक्षों के बयान दर्ज कर लिए हैं और मामले की जांच चल रही है। चूंकि दोनों ही पक्ष सरकारी सेवा से जुड़े हैं, इसलिए प्रशासनिक स्तर पर भी इसकी प्रतिक्रिया हो सकती है।




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