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जानिए एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज की दास्तान, एक किडनी होने के बावजूद जीते भारत के लिए कई मेडल

2003 की पेरिस विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य जीतकर इतिहास रचने वाली ओलंपियन अंजू बॉबी जॉर्ज ने हाल ही में खुलासा किया कि उन्हेंने केवल एक किडनी के सहारे ही शीर्ष स्तर पर सफलताएं हासिल की।

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By Asna | खेल - 08 December 2020

अंजू बॉबी जॉर्ज ने 2003 में पेरिस में आयोजित  वर्ल्ड  एथलेटिक्स चैंपियनशिप में लंबी कूद में कांस्य मेडल जीत कर इतिहास रचा था। इस उपलब्धि के साथ वह पहली ऐसी भारतीय एथलीट बनीं। 2003 की पेरिस विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य जीतकर इतिहास रचने वाली ओलंपियन अंजू बॉबी जॉर्ज ने हाल ही में  खुलासा किया कि उनके पास केवल एक किडनी है। एक किडनी होने के बावजूद उन्होंने अपने जीवन में सफलता हासिल की और अपने लक्ष्य को हासिल किया। 

कोरोना से डरने वाले खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाते हुए अंजू  बॉबी जॉर्ज ने कहा कि एक किडनी होने के कारण दौड़ शुरू करने पर मेरा पैर नहीं उठता था लेकिन मैंने फिर भी हार नहीं मानी और डटकर खेल में कामयाबी हासिल की। यही नहीं मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि अंजू ने आपनी कड़ी मेहनत और लगन से  देश का मान बढ़ाया है।

इसके साथ ही अंजू बॉबी जॉर्ज ने कहा कि आज एथलीट कोरोना की वजह से डरे हुए हैं। जूनियर एथलीटों के माता-पिता हमेशा उन्हें ट्रेनिंग कैम्प में भेजने से डरते हैं लेकिन हमें कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है बल्कि हमें सावधानी बरतने और फिटनेस पर ध्यान देने की जरूरत है। यही वह समय है जब हमें मानसिक रूप से खुद को मजबूत करना होगा। इसके साथ ही मैंने 2002 में 2002 कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीता। यही नहीं खेलों से पहले एक चेकअप किया गया था उस दौरान मेरी तबियत बिगड़ गई थी तब पता चला कि मेरी जन्म से ही एक किडनी है। 

मैं उस समय बहुत डर गई थी लेकिन मैं देश के लिए पदक जीतना चाहती था। इसलिए मैं ये सुनहरा मौका बिल्कुल नहीं गवाना चाहती थी तब मैंने खुद को समझाया कि मुझे हार नहीं माननी है और अपनी ट्रेनिंग को करना जारी रखा। इसके साथ ही कोच और माता-पिता ने मेरा हौसला बढ़ाया और कॉमनवेल्थ गेम्स में मैने लंबी कूद में कांस्य पदक जीता। इसके बाद मेरा आत्मविश्वास बढ़ा। सरकार और एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया को भी समर्थन मिला।

कैम्प से लेकर प्रतियोगिता तक मेरे लिए अलग-अलग व्यवस्थाएँ होती थी। उसी साल  बुसान एशियाई खेलों में मैं स्वर्ण पदक जीतने में भी कामयाब रही। इसके बाद 2003 पेरिस वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप से 20 दिन पहले मैं बीमार पड़ गई जिसमें डॉक्टर ने  6 महीने तक बिस्तर पर आराम करने के लिए कहा  लेकिन विश्व एथलेटिक्स में देश का प्रतिनिधित्व करना हर एथलीट का सपना होता है। मैंने भी 20 दिनों में खुद को ठीक कर लिया था और कांस्य जीतने में कामयाब रही लेकिन  किडनी के कारण अधिक देखभाल करनी पड़ी जिसमें मुझे  अधिक तरल पदार्थ लेना था। कभी-कभी सूजन भी होती थी।

मैं अभी भी सावधानी बरतती हूं और अपनी  फिटनेस पर पूरा ध्यान देती हूं। यही नहीं मैं हर रोज ऐकडमी जाकर एथलीटों का मार्गदर्शन करती हूं। मेरा मानना यही ​​है कि किसी भी चीज से डरने के लिए हमें सावधान रहने की जरूरत है। हमारा शरीर भी खुद एडजस्ट हो जाता है। इसके साथ ही आप कोरोना महामारी से डरें नहीं बल्कि इसका मुकाबला करें और सावधानी बरतें।


by-ASNA ZAIDI

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