Bihar Diwas: इन 5 जगहों को देखने के बाद आप भी बिहार पर करेंगे गर्व

22 मार्च को आज बिहार दिवस है। ऐसे में आइए जानते हैं बिहार की उन जगहों के बारे में जिनके बारे में जानकर आप खुद गर्व करने लेंगे।

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बिहार कहने को तो बेहद ही छोटा शब्द है। लेकिन यहां रहने और इससे जुड़ने वाले लोगों में जो तुफान और जज्बा होता है न वो पूरी दुनिया में आपको कहीं भी नहीं मिलेगा। अब आप पंकज त्रिपाठी और संजय मिश्रा जैसे उम्दा कलाकारों को ही देख लीजिए। क्या गजब की एक्टिंग करके पूरे दुनिया को ही हिला डाला है। इसके अलावा यहां के पकवानों का नाम सुनते ही आपके मुंह में पानी आ जाएगा जैसे कि खाजा और लिट्टी चोखा। ये सब बात हम इसीलिए कह रहे हैं क्योंकि आज बिहार दिवस है। ऐसे में अब बारी आती है यहां की प्रसिद्ध जगहों की जिसके बारे में जानकर हर कोई उन पर गर्व करेगा। तो चलिए एक नजर डालते हैं उन तमाम जगहों की खूबसूरती और शानदार जानकारियों के बारे में यहां। 


 1. बोधगया और महाबोधि मंदिर

बिहार की शान और पहचान बोधगया से होती है। ऐसा इसीलिए क्योंकि बिहार के बोधगया से ही बौद्ध संस्कृति का उभार हुआ था। इसका सबूत है बोधगया तीर्थ।  यहां के बोधि पेड़  के नीचे बैठकर ही भगवान गौतम बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति की थी। यही वजह है कि इस जगहों को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल किया गया है। हम ये जानकार खुशी और साथ ही हैरान होगी कि बोधगया में कई बौद्ध मठ और मंदिर मौजूद हैं। यहीं की खूबसूरती अपने आप में बेहद खास है। यदि आप बिहार जाएंगे तो नाइटलाइफ और शॉपिंग को एंजॉय कर सकते हैं।


2. नालंदा विश्वविद्यालय 

बिहार के रहने वाले लोग होशियार होते हैं इस बात में तो कोई ऐतराज नहीं है। इसका सबसे बड़ा परिणाम है नालंदा विश्वविद्यालय का बिहार में होना। दरअसल भारत में दुनिया के सबसे पुराने विश्वविद्यालय में से एक आता है नालंदा विश्वविद्यालय। नालंदा नालं का मतलब होता है कमल और दा का मतलब होता है देने वाला। कुल मिलकर देखा जाए तो नालंदा का पूरा मतलब हुआ ज्ञान को देने वाला। इसकी स्थापना 5वीं शताब्दी में गुप्त वंश के शासक सम्राट कुमारगुप्त ने की थी। 12वीं शताब्दी के मध्य में दुनिया के कई देशों से छात्र पढ़ने के लिए आते थे। इस विश्वविद्यालय में करीब 10 हजार छात्र पढ़ाई करने आते थे। इस विश्वविद्यालय में 300 कमरे, 7 बड़े-बड़े कक्ष और अध्ययन के लिए करीब 9 मंजिला एक विशाल लाइब्रेरी थी, जिसमें कम से कम 3 लाख से ज्यादा किताबें थी। इसमें सिर्फ प्रतिभाशाली छात्र ही प्रवेश पा सकते थे। इसके लिए तीन परीक्षा होती थी उसको पास करना होता था। आपको ये जानकार हैरानी होगी कि इस ज्ञान के मंदिरों को 1199 में तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने पूरी तरह से जलाकर बर्बाद कर दिया था। ऐसा कहा जाता है कि यहां पूरे तीन महीने तक आग धधकती रही थी। इसके अलावा कई धर्माचार्य और बौद्ध भिक्षुओं तक को मार डाला था।


3. सीतामढ़ी 

सीतामढ़ी बिहार की सबसे प्रसिद्ध जगह मानी जाती है। सीता के जन्मस्थान के तौर पर सीतामढ़ी को जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि सीतामढ़ी के पूनौरा नाम की जगह पर राजा जनक ने खेत में हल जोतने का काम किया था तो उस वक्त धरती से मां सीता का जन्म हुआ था। मां सीता के जन्म के चलते ही उस शहर का नाम सीतामढ़ी पड़ गया था। सीतामढ़ी के खास पर्यटन स्थलों में हलेश्वर स्थान, बगही मठ, पंथ पाकड़, हलेश्वर स्थान, जानकी स्थान मंदिर आदि मौजूद हैं।


4. गोलघर (पटना)

बिहार की शान कहे जाने वाले पटना में आपको कई खूबसूरत जगह देखने को मिल जाएगी। उन्हीं में से एक है पटना का गोलघर। 29 मीटर की ऊंचाई से कोई यदि आपको पटना की खूबसूरती दिखा सकता है वो है गोलघर। गोलघर की ऊंचाई से आप गंगा, गांधी पार्क आदि को देख सकते हैं। पटना का गोलघर बिना किसी खंभे के खड़ा हुआ है।  इसकी कुल 145 सीढ़ियां सरपीली सढ़ी हैं। पटना के गोलघर की दीवार 3.6 मीटर मोटी है। गोलघर को बनाने वाला एक विदेशी इंसान था। इसके गोल आकर की वजह से इसकी तुलना मोहम्मद आदिल शाह के मकबरे से की जाती है। यदि आप इसके अंदर यदि आप आवाज निकालते हैं तो कम से कम 27 बार वो गुंजती है। इसे 1770 के भयंकर आकाल के बाद बनाया गया था।


5. नौलखा पैलेस, राजनगर

जिन लोगों को इतिहासिक चीजें देखने में काफी दिलचस्पी रहती है उनके लिए बिहार के राजगर में मौजूद नौलखा महल बिल्कुल सही है। ये एक हेरिटेज साइट्स है। इस महल का निर्माण दरभंगा के महाराजा रामेश्वर सिंह ने किया था। लेकिन 1934 में एक ऐसा भूंकप आया जिससे ये महल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसके बाद इसका दोबारा से निर्माण किया गया। महल के सामने दुर्गा भवन का मंदिर मौजूद हैं। कहा जाता है कि महाराजा रामेश्वर सिंह मां काली के भक्त थे। इसलिए उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। नौलखा मंदिर के बीच में सात मंजिला एक इमारत मौजूद है, जिसके ठीक साइड में एक तालाब बना हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि महाराजा की छोटी और बड़ी महारानी के लिए तालाब को खोदा गया था।

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