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देशभर में त्योहारों की शुरुआत हो चुकी है. त्योहारों का सिलसिला अगले एक-दो महीने तक लगातार जारी रहने वाला है. हालांकि, त्योहारी सीजन खत्म होते-होते जश्न फीका पड़ने का खतरा है. जिस तरह के हालात बन रहे हैं, उससे डर है कि त्योहारों के दौरान बिजली संकट हो सकता है और लोगों के घरों की लाइटें बंद हो सकती हैं.
बिजली संयंत्रों के कोयला भंडार
रॉयटर्स की एक ताजा रिपोर्ट बताती है कि अक्टूबर के पहले दो हफ्तों के दौरान देश के बिजली संयंत्रों के कोयला भंडार में तेजी से कमी आई है. दरअसल, बिजली की मांग बढ़ गई है, जिसके कारण उत्पादन बढ़ाना पड़ा है. कुल मिलाकर स्थिति यह है कि मांग आपूर्ति की तुलना में कम होती जा रही है. सरकारी आंकड़ों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर के पहले दो हफ्तों के दौरान बिजली संयंत्रों के कोयला भंडार में जिस तेजी से गिरावट आई है, वह दो साल में सबसे ज्यादा है.
कोयला भंडार में सबसे तेज गिरावट
रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर के पहले दो हफ्तों के दौरान पावर प्लांट के कोयला स्टॉक में 12.6 फीसदी की गिरावट आई है और यह 20.58 मिलियन मीट्रिक टन पर आ गया है. यह नवंबर 2021 के बाद से कोयला भंडार का सबसे निचला स्तर है. इतना ही नहीं, सितंबर 2021 के दूसरे पखवाड़े के बाद एक पखवाड़े में कोयला भंडार में यह सबसे तेज गिरावट है.
बिजलीघरों का उत्पादन
ग्रिड नियामक डेटा से पता चलता है कि अक्टूबर के पहले दो हफ्तों के दौरान कोयला आधारित बिजली संयंत्रों में बिजली उत्पादन तेजी से बढ़ा है. सालाना आधार पर यह ग्रोथ करीब 33 फीसदी रही है. यानी अक्टूबर 2022 के पहले पखवाड़े की तुलना में अक्टूबर 2023 के पहले पखवाड़े में कोयला आधारित बिजलीघरों का उत्पादन 33 फीसदी ज्यादा रहा है. इससे पहले सितंबर महीने में 21.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी.




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