Hindi English
Login
Image
Image

Welcome to Instafeed

Latest News, Updates, and Trending Stories

भोपाल गैस त्रासदी के 37 साल पूरे, जानिए इस दर्दनाक घटना की पूरी कहानी

भोपाल गैस त्रासदी की 37वीं बरसी को भारतीय आज तक नहीं भूले हैं. इस गैस घटना को 37 साल हो चुके हैं.

Advertisement
Instafeed.org

By Skandita | खबरें - 02 December 2021

भोपाल गैस त्रासदी की 37वीं बरसी को भारतीय आज तक नहीं भूले हैं. इस गैस घटना को 37 साल हो चुके हैं. इतिहास के पन्नों में दर्ज यह सबसे दर्दनाक त्रासदी है, जो आज भी लोगों के जेहन में ताजा है. इस घटना ने रातों-रात हजारों जिंदगियां तबाह कर दी हैं. 2-3 दिसंबर 1984 की रात मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक ऐसी घटना घटी जिसने भारत समेत पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया.

यह भी पढ़ें :  भाजपा ने ममता बनर्जी के खिलाफ दर्ज कराई शिकायत, राष्ट्रगान के अपमान का मामला

ज्ञात हो कि भोपाल में 2-3 दिसंबर की सर्द रात में जब सभी सो रहे थे तभी अचानक यहां यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के प्लांट से जहरीली गैस का रिसाव होने लगा. देखते ही देखते यह जहरीली गैस पूरे शहर में तेजी से फैल गई. जब तक लोग समझ पाते तब तक बहुत देर हो चुकी थी. हजारों जिंदगियां हमेशा के लिए इस गैस से मौत की गोद में सो गईं. गौरतलब है कि यह पूरा हादसा यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के कीटनाशक संयंत्र में गैस रिसाव के कारण हुआ. इस दर्दनाक हादसे के बाद यूनियन कार्बाइड के मुख्य प्रबंध अधिकारी वारेन एंडरसन रात भर भारत छोड़कर अमेरिका भाग गए. इस दर्दनाक घटना ने पूरी नस्ल को बर्बाद कर दिया है. भोपाल गैस त्रासदी के बाद मौत का सही आंकड़ा कभी सामने नहीं आया, जो एक कड़वा सच है.

त्रासदी के बाद पैदा हुए कई बच्चे विकलांग थे

इस पूरी घटना के बाद आसपास की बस्तियों में रहने वाले लोगों को दम घुटने, खांसी, आंखों में जलन, पेट फूलना और यहां तक ​​कि उल्टी भी होने लगी. कुछ ही देर में अस्पताल में मरीजों की भारी भीड़ लग गई. इस त्रासदी की घटना के बाद, वहां पैदा हुए कई बच्चे विकलांग पैदा हुए और कई इस दुनिया में किसी और बीमारी के साथ आए. आज भी कई बच्चे प्रभावित क्षेत्रों में असामान्यताओं के साथ पैदा हो रहे हैं.


दूसरी ओर, 7 जून 2010 को स्थानीय अदालत ने भी इस घटना पर फैसला सुनाया. लेकिन कोर्ट ने आरोपियों को सिर्फ दो साल कैद की सजा सुनाई थी. बाद में सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया. जबकि यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड के तत्कालीन प्रमुख और इस त्रासदी के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन की भी 29 सितंबर 2014 को मृत्यु हो गई थी.

पीड़ितों के दर्द पर सरकार आज तक मरहम नहीं लगा पाई है

इस हादसे को 37 साल हो चुके हैं. इसके बावजूद आज तक सरकार पीड़ितों के दर्द पर मरहम नहीं लगा पाई है. आलम यह है कि पीड़ित आज भी मुआवजे सहित बुनियादी चीजों के लिए संघर्ष कर रहे हैं. इस दर्दनाक हादसे को लेकर साल 2014 में फिल्म 'भोपाल ए प्रेयर ऑफ रेन' बनी थी.

Advertisement
Image
Advertisement
Comments

No comments available.