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Neet 2020 में 100 % अंक लाकर शोएब ने रचा इतिहास, ये है सफलता का राज़

शोएब ने डिसूज़ा स्कूल से मेट्रिक पास कर तैयारी करने के लिए कोटा जाने का फ़ैसला लिया और उनके परिवार ने उनके सपनों और लगन को समझ उनका सपोर्ट किया और शोएब को कोटा भेज दिया।

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By Anshita Shrivastav | खबरें - 17 October 2020

जहां एक तरफ़ लोग कोरोना वायरस के कारण दुःख में हैं। वहीं कुछ घरों में इन दिनों ख़ुशियां भी आयी हैं। नीट की 2020 परीक्षा का रिज़ल्ट घोषित कर दिया गया है। जिसमें ओड़िशा के शोएब ने 100 % यानि कि पूरे में से पूरे अंक प्राप्त किए हैं और नीट टॉपर बनने का ख़िताब अपने नाम किया है। शोएब ने 720 में से 720 अंक प्राप्त कर ये कारनामा दिखाया है। लेकिन सिर्फ़ शोएब हि नहीं उनके अलावा कोई और भी है जिसने पूरे में से पूरे नंबर प्राप्त किए हैं उनका नाम है आकांक्षा। लेकिन शोएब की क़िस्मत ने ज़ोर मारा और टॉपर का ताज पहन लिया। ऐसा कैसे हुआ तो इसका जवाब है एनटीए की पॉलिसी। इसके आधार पर जब दो लोगों सामान अंक प्राप्त करते हैं तो उन दो लोगों में से ज़्यादा उम्र वाले को टॉपर घोषित किया जाता है। यही शोएब की जीत का कारण बना। क्योंकि शोएब की उम्र आकांक्षा से ज़्यादा है इसलिए उन्हें टॉपर घोषित किया गया।


कौन हैं शोएब? 

नीट परीक्षा में पूरे में से पूरे अंक लाकर टॉपर बनने वाले शोएब ओड़िशा से हैं। उन्होंने टॉपर बन एक इतिहास तो रचा ही साथ ही शोएब ओड़िशा से नीट टॉपर बनने वाले पहले छात्र भी हैं। परीक्षा में टॉपर और 100% अंक प्राप्त करने वाले शोएब और उनके परिवार वाले बेहद खुश हैं। उनके रिश्तेदार और उनके जानकारों ने भी शोएब को बधाई दी। बता दें कि नीट इंडिया टॉपर बने शोएब ओड़िशा में राउरकेला के रहने वाले हैं। शोएब के परिवार में उनके मां- बाप औरक एक बहन भी है। शोएब के पिता का नाम शेख़ मो. अब्बास है और वो राउरकेला के आज़ाद मोहल्ला में रहते हैं। उनके पिता जी ठेकेदार हैं और मां हाउसवाइफ़ हैं।

शोएब ने डिसूज़ा स्कूल से मेट्रिक पास कर तैयारी करने के लिए कोटा जाने का फ़ैसला लिया और उनके परिवार ने उनके सपनों और लगन को समझ उनका सपोर्ट किया और शोएब को कोटा भेज दिया। जहां उन्होंने बहुत ही मन लगाकर मेहनत से पढ़ाई की। बता दें कि शोएब के साथ उनके परिवार ने भी संघर्ष किया है। बेटे को बाहर रहकर भी घर जैसा माहौल मिले इसके लिए मां ने बेटे के साथ कोटा में ही रहने का फ़ैसला किया। मां के अलावा बहन भी कोटा में ही रही। लेकिन पिता राउरकेला में अकेले रहे और अपना काम संभाला। इस तरफ़ पूरे परिवार के सहयोग से शोएब ने पहली बार मेन ही एग्ज़ाम पास कर अपना सपना पूरा किया और परिवार क नाम रोशन किया। 


बता दें कि शोएब बहुत ही मेहनती और लगनशील छात्र हैं। इसका उदाहरण ये है कि कोरोना महामारी आने पर जब सभी छात्र अपने घरों को वापस जा रहे थे तब शोएब ने कोटा में  ही रहकर पढ़ाई जारी रखने का फ़ैसला किया। उसी का परिणाम आज शोएब को मिला है। जो देश के और बच्चों के लिए प्रेरणा बन गए। शोएब का मानना है कि अगर किसी चीज़ को पाने के लिए दृंढ़निश्चय करते हैं तो वो चीज़ ज़रूर हासिल होती है। शोएब ने बताया कि वो दिन में लगभग 10 घंटे तक पढ़ाई किया करते थे।

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