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देश में कुपोषण की समस्या से निजात पाने के लिए मोदी सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में फ़ैसला लिया गया है की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिलने वाले चावल को अब पोषणयुक्त बनाकर लोगों को दिया जाएगा. मार्च 2024 तक पूरे देश में ये योजना लागू कर दी जाएगी.
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हर एक बच्चा कुपोषण का शिकार
सूत्रों के अनुसार, देश में हर दूसरी महिला खून की कमी की शिकार होती आ रही है. देश का हर तीसरा बच्चा अविकसित या छोटे कद का होता है. भारत का हर चौथा बच्चा कुपोषण का शिकार हो रहा है. देश का हर पांचवां बच्चा कमज़ोर है. वहीं ग्लोबल हंगर इंडेक्स में दक्षिण एशियाई देशों में भारत का कुपोषण स्थान 94वां है जो केवल अफगानिस्तान 99 से ऊपर है. मिली जानकारी के अनुसार, आयरन की कमी से देश को हर साल 1% जीडीपी का नुकसान उठाना पड़ता है. ऐसे में अब मोदी सरकार ने कुपोषण की समस्या का समाधान करने के लिए एक नई योजना बनाई है. मार्च 2024 तक पूरे देश में अलग-अलग पोषण योजनाओं में मिलने वाले चावल को पोषणयुक्त बनाकर दिया जाएगा.
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कैसे बनेगा पोष्टिक चावल
आपको बता दें कि, चावल को पोषक तत्वों से लैस करने का मतलब है धान से चावल निकालते समय उसमें मशीन के ज़रिए आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन बी 12 और कुछ अन्य खनिज पदार्थों का मिलाया जाना, ताकि चावल और पौष्टिक हो जाए. इनमें प्रमुख रूप से खाद्य सुरक्षा क़ानून के तहत क़रीब 80 करोड़ लोगों को दिया जाने वाला चावल और मिड डे मील आईसीडीएस स्कीम और राष्ट्रीय पोषण अभियान के तहत स्कूलों में बच्चों को परोसा जाने वाला चावल शामिल है. इस योजना पर मार्च 2024 तक 4270 करोड़ रुपए ख़र्च किए जाएंगे. जिसका पूरा भार केंद्र सरकार वहन करेगी.




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