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इस जगह पर हुआ पहली बार काले अमरूद का उत्पादन, जानें क्या है इसकी खासियत

भागलपुर में पहली बार काले अमरूद का उत्पादन हुआ है, जो बुढ़ापे को रोकने में मददगार बताया जाता है. दरअसल, खबर के मुताबिक, दो साल पहले बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) भागलपुर में अमरूद का पौधा लगाया गया था.

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By Asna | लाइफ स्टाइल - 26 June 2021

अमरूद को गरीबों का सेव कहा जाता है और यह भी साफ है कि कुपोषण भी इसी तबके में अधिक होता है. ऐसे में अगर हर आम ओ खास इस काले अमरूद का सेवन शुरू कर दे तो कई पौष्टिक तत्वों की कमी दूर हो जाएगी. हाल में ही भागलपुर के तिलकपुर गांव के रहने वाले मैंगोमैन अशोक कुमार चौधरी की एक खबर प्रकाशित की थी जिन्होंने खेती-किसानी में ग्राफ्टिंग तकनीक का इस्तेमाल कर एक ही पेड़ पर दस से अधिक अलग-अलग वेराइटी के आम उगाये हैं.

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 ग्राफ्टिंग तकनीक की सहायता से वैज्ञानिक रूप से एक विशेष आम का पौधा विकसित किया, जिसमें 10 प्रकार के आम लगे हुए हैं. इस भागलपुर शहर से कृषि की प्रगति की एक और कहानी सामने आई है। दरअसल, भागलपुर में पहली बार काले अमरूद का उत्पादन हुआ है, जो बुढ़ापे को रोकने में मददगार बताया जाता है. दरअसल, खबर के मुताबिक, दो साल पहले बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) भागलपुर में अमरूद का पौधा लगाया गया था. लग रहा था, अब इसका फल मिलने लगा है.

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बताया जा रहा है कि प्रत्येक पौधे से चार से पांच किलोग्राम उपज प्राप्त हुई है. एक अमरूद औसतन एक सौ ग्राम के आसपास होता है. बीएयू ने अब इस पर शोध शुरू कर दिया है कि आम के किसान इस पौधे का उपयोग कैसे कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि भविष्य में इसका व्यावसायिक मूल्य हरे अमरूद की तुलना में 10 से 20 प्रतिशत अधिक होगा. आमतौर पर अमरूद 30 से 60 रुपये किलो बिकता है. उन्होंने बताया कि काले अमरूद में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो बढ़ती उम्र को रोकते हैं. इसे खाने से लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. तो क्या यह अद्भुत नहीं है? इस प्रकार अमरूद को गरीबों का सेब कहा जाता है और यह भी स्पष्ट है कि इस श्रेणी में कुपोषण भी अधिक है. ऐसे में अगर हर आम ओ खास इस काले अमरूद का सेवन करने लगे तो कई पोषक तत्वों की कमी दूर हो जाएगी.

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