2020 में खाद्य कीमतों में आई गिरावट के कारण दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति में हुई इतनी कमी

विकास को भारतीय रिजर्व बैंक को अपनी भविष्य की मौद्रिक नीति की कार्रवाइयों के संदर्भ में अधिक सांस लेने की जगह देने की संभावना है।

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साल 2020 भारत ही नहीं पूरी दुनिया के लिए बहुत ही उतार-चढाव भरा साल रहा। क्योंकि कोरोना वायरस ने देश की अर्थवयवस्था पर गहरा प्रभाव डाला। साल 2020 दिसंबर में खुदरा महंगाई दर घटकर 4.59 प्रतिशत पर रह गई, क्योंकि यह दर कई महीनों तक स्थिर रही, मंगलवार को सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है ये दर नवंबर 2020 में दर्ज 6.93 प्रतिशत से तेज गिरावट है।

पिछले महीने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक द्वारा मापी गई खुदरा मुद्रास्फीति में हुई गिरावट खाद्य कीमतों में आई गिरावट के कारण हुई थी। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर 2020 में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 3.41 प्रतिशत रह गई, जो पिछले महीने में 9.5 प्रतिशत पहुंच गई थी।

विकास को भारतीय रिजर्व बैंक को अपनी भविष्य की मौद्रिक नीति की कार्रवाइयों के संदर्भ में अधिक सांस लेने की जगह देने की संभावना है। यह ध्यान दिया जा सकता है कि दिसंबर में दर्ज ताजा मुद्रास्फीति आरबीआई के 2-6 प्रतिशत के लक्ष्य के भीतर है।

नवंबर IIP अनुबंध

जबकि गिरती मुद्रास्फीति भारत के आर्थिक सुधार के लिए एक सकारात्मक विकास के रूप में है, सरकारी आंकड़ों से ये भी पता चलता है कि नवंबर में देश के औद्योगिक उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई थी।

भारत के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक यानि कि IIP द्वारा दिखाया गया कि नवंबर में औद्योगिक गतिविधियों में 1.9 प्रतिशत का संकुचन यानि कमी हुई   है। जो कि एक चिंताजनक विषय है क्योंकि आर्थिक पुनरुद्धार के लिए औद्योगिक गतिविधि का बढ़ना बेहद ही महत्वपूर्ण है।

हालांकि, आईआईपी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2020 में विनिर्माण क्षेत्र का उत्पादन 1.7 प्रतिशत बढ़ गया है। खनन उत्पादन में भी 7.3 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि बिजली उत्पादन में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।

गौरतलब है कि IIP में नवंबर 2019 में 2.1 फीसदी बढ़ोत्तरी देखी गई थी। लेकिन कोविड -19 महामारी के कारण मार्च 2020 से औद्योगिक उत्पादन में भारी गिरावट आई थी। उस समय, IIP ने 18.7 प्रतिशत का अनुबंध किया था।

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